जमीन विवाद में देवव्रत ने सुपारी देकर कराई अनिल टाइगर की हत्या, चार आरोपी गिरफ्तार, तीन की तलाश जारी

इसी गुस्से में देवव्रत ने अनिल को रास्ते से हटाने की ठानी और अपराधी अभिषेक सिन्हा को हत्या की सुपारी दी। 26 जुलाई को कांके चौक पर शूटरों ने अनिल टाइगर की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस का कहना है कि मुख्य साजिशकर्ता देवव्रत सहित फरार आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द होगी। यह मामला जमीन विवाद और सत्ता के दुरुपयोग की गहरी परतें उजागर करता है।

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Anil Tiger Murder Case: राजधानी के कांके थाना क्षेत्र के कांके चौक पर 26 जुलाई को भाजपा नेता अनिल टाइगर (अनिल महतो) की गोली मारकर हत्या के मामले में पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा किया है। DIG-सह -SSP चंदन सिन्हा के निर्देश पर गठित विशेष टीम ने जांच में पाया कि किशोरगंज के बड़ा लाल स्ट्रीट निवासी देवव्रत नाथ शाहदेव ने 10 एकड़ विवादित जमीन पर कब्जे के लिए अनिल टाइगर की हत्या की सुपारी दी थी।

इस हत्याकांड में सात लोग शामिल थे, जिनमें से चार – अमन सिंह, मनीष चौरसिया, जिशान अख्तर और अजय कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है। शेष तीन – देवव्रत नाथ शाहदेव, अभिषेक सिन्हा और रोहित वर्मा की तलाश में छापेमारी जारी है। गुरुवार को SSP ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी।

जमीन विवाद और विरोध की कहानी

पुलिस जांच में सामने आया कि कांके के गागी खटंगा गांव की 10 एकड़ विवादित जमीन पर देवव्रत नाथ शाहदेव कब्जा करना चाहता था, लेकिन अनिल टाइगर और स्थानीय ग्रामीण इसके खिलाफ थे। अगस्त 2023 में देवव्रत ने जमीन पर जबरन चाहरदीवारी बनवाई, जिसका अनिल ने ग्रामीणों के साथ मिलकर विरोध किया। इसके बाद देवव्रत ने केयरटेकर दिलीप कुमार मुंडा के जरिए अनिल और आठ अन्य लोगों के खिलाफ कांके थाने में मारपीट, तोड़फोड़ और रंगदारी का केस (कांड संख्या-215/2023) दर्ज कराया।

इसके बावजूद अनिल ने हार नहीं मानी और देवव्रत के कब्जे और जमीन बिक्री के हर प्रयास को नाकाम किया। दिसंबर 2023 में हरमू निवासी विनोद पासवान के घर दोनों पक्षों के बीच समझौता बैठक हुई। अनिल ने प्रति डिसमिल 50 हजार की दर से 4.5 करोड़ रुपये की मांग रखी, लेकिन रुपये को लेकर सहमति नहीं बनी। बैठक में देवव्रत ने अनिल पर पिस्टल तानकर धमकी दी, जिससे वार्ता फिर विफल हो गई।

इस तरह बनाया हत्या का प्लान

देवव्रत ने विवादित जमीन पर पालकोट हाउस रोड बनाने का प्लान बनाया और सांसद निधि से इसका शिलान्यास कराने की तैयारी की। अनिल को इसकी भनक लगी और उन्होंने सांसद के सामने तथ्य रखे। शिलान्यास के दिन अनिल के विरोध के कारण सांसद ने कार्यक्रम रद्द कर दिया। अनिल के लगातार विरोध से क्षुब्ध देवव्रत को आर्थिक नुकसान हुआ, क्योंकि वह न तो जमीन पर कब्जा कर पाया और न ही उसे बेच सका।

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इसी गुस्से में देवव्रत ने अनिल को रास्ते से हटाने की ठानी और अपराधी अभिषेक सिन्हा को हत्या की सुपारी दी। 26 जुलाई को कांके चौक पर शूटरों ने अनिल टाइगर की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस का कहना है कि मुख्य साजिशकर्ता देवव्रत सहित फरार आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द होगी। यह मामला जमीन विवाद और सत्ता के दुरुपयोग की गहरी परतें उजागर करता है।

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