पटना: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने एक रिपोर्ट में कहा कि बिहार की नीतीश कुमार सरकार 2014 से 2019 के बीच महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत मजदूरों को सिर्फ 3 फीसदी रोजगार देने में कामयाब रही।
रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 26 से 36 फीसदी ऐसे लोग थे, जिन्होंने मनरेगा के तहत 100 दिनों की गारंटी वाले रोजगार के लिए आवेदन किया था, लेकिन केवल 3 फीसदी को ही काम मिला।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बिहार में 86.61 फीसदी मजदूरों के पास जमीन नहीं है और वे पूरी तरह से योजना पर निर्भर हैं। इसने रिपोर्ट तैयार करने से पहले 60.88 लाख मजदूरों के बीच एक सर्वेक्षण किया।
सीएजी ने नीतीश कुमार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना लोहिया पथ चक्र, पटना में राजभवन के पास बेली रोड पर बहुउद्देश्यीय ग्रेड डिवाइडर लोहिया पथ चक्र में भी वित्तीय अनियमितताएं पाई हैं।
सरकारी लेखापरीक्षक ने कहा कि निर्माण कंपनी बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड (बीआरपीएनएनएल) ने योजना बनाने, विस्तार परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने और निर्माण के दौरान कुछ गलत निर्णय लिए, गलत तरीके से डिजाइन में 6.04 करोड़ रुपये, विशेषज्ञ पर्यवेक्षकों पर 10.86 करोड़ रुपये खर्च किए और अन्य खचरें पर 1.52 करोड़ रुपये।
नतीजतन, राज्य के खजाने को 18.42 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।