पटना: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भर योजना से बिहार के करीब 1.50 लाख उद्यम को फिर से खड़ा करने में बैंकों ने मदद पहुंचायी है।
प्रदेश में कोरोना काल में बेपटरी हो चुके एक लाख 40 हजार 350 छोटे उद्यमों को आत्मनिर्भर भारत योजना से संजीवनी मिली है।
गारंटेड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन स्कीम (आपात कर्ज योजना) की संजीवनी ने इन मृतप्राय छोटे उद्यमों को फिर से जीने में मदद की है।
इसके तहत 2,957 करोड़ 73 लाख रुपये छोटे उद्यमों को अभी तक दिए जा चुके हैं। योजना की सफलता को देखते हुए इसकी समय सीमा को बढ़ा दिया गया है।
कोरोना के कारण लंबे समय तक उद्योग व कारोबार बंद रहे। इस कारण अधिकतर कारोबारियों के पास कार्यशील पूंजी का अभाव हो गया।
ऐसे में लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों से लेकर छोटे कारोबारी तक अनलॉक की प्रक्रिया के बाद फिर से बंद धंधों को शुरू नहीं कर पा रहे थे।
ऐसे उद्यमियों को सरकार की योजना के तहत आसान शर्तों पर लोन देकर उन्हें फिर से उद्यम शुरू करने में मदद की गई।
इसमें यह ध्यान रखा गया कि उद्यमियों का पहले का फाइनांशियल ट्रैक रिकॉर्ड खराब नहीं हो। यह राशि इन उद्योग को ईसीएलजीएस एक, दो, तीन और चार के तहत दी गयी है।
बैंकों द्वारा गारंटेड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन स्कीम (आपात कर्ज योजना) के तहत लाभान्वितों की रिपोर्ट राज्य सरकार और केंद्रीय लघु उद्योग मंत्रालय को भेजी गई है।
इसमें कोरोना से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत शुरू की गई सब्सिडी डेब्ट फंड समेत कुछ और भी सहायक योजनाएं शामिल हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, कार्यशील पूंजी के अभाव में लगभग बंद हो चुके इन छोटे उद्यमों के फिर से चालू हो जाने के कारण करीब दस लाख परिवारों को जीविका का सहारा मिला है।
गारंटेड इमर्जेंसी क्रेडिट लोन स्कीम के तहत काफी कम ब्याज दर पर उद्यमों को कर्ज दिया गया है।
वह भी ऐसे समय में जब उद्यमियों को इसकी सख्त जरूरत थी। छोटे पूंजी वाले उद्यमियों के लिए व्यक्तिगत स्तर पर या बाजार से कर्ज मिलना काफी मुश्किल था।
क्या है इमरजेंसी क्रेडिट लाइन स्कीम
इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) की शुरुआत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण कारोबारों पर पैदा हुए संकट को कम करने के लिये मई 2020 में की थी।
अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की थी।
इस पैकेज के तहत ही सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों के लिए तीन लाख करोड़ रुपये की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना शुरू की गई थी।
इस योजना का उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) व्यावसायिक उद्यमों तथा मुद्रा योजना के उधारकर्त्ताओं को पूरी तरह से गारंटी व गारंटी फ्री लोन प्रदान करना है।
वित्त मंत्रालय ने हाल ही में ईसीएलजीएस 4.0 में हॉस्पिटल्स, नर्सिंग होम्स, क्लीनिक व मेडीकल कॉलेज को ऑन-साइट ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए दो करोड़ तक के लोन के लिए 100 प्रतिशत गारंटी कवर और ब्याज दर 7.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
नागरिक उड्डयन क्षेत्र ईसीएलजीएस 3.0 के तहत पात्र है। इसकी वैधता को 30 सितंबर, 2021 तक या तीन लाख करोड़ रुपये की राशि के लिए गारंटी जारी होने तक बढ़ा दिया गया है। वितरण की अनुमति 31 दिसंबर, 2021 तक कर दी गई है।
मंत्रालय के मुताबिक जिन लोगों ने ईसीएलजीएस 1.0 के अंतर्गत लोन लिया है, उन्हें चार साल की बजाय अब लोन चुकाने के लिए पांच साल का समय मिलेगा। इस लोन का ब्याज केवल 24 महीने तक चुकाना होगा।
उसके बाद के 36 महीनों में मूलधन और ब्याज चुकाना होगा। साथ ही मंत्रालय ने बताया कि इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम 3.0 के तहत लोन आउटस्टैंडिंग की 500 करोड़ रुपये की मौजूदा सीमा भी हटा दी गई है।
बड़ी चुनौती
इमरजेंसी क्रेडिट लाइन स्कीम के तहत फिर से खड़े किए गए उद्यमों को एक साल तक कर्ज वापसी से निजात दी गई है।
यहां तक कि पेनाल्टी जैसी प्रक्रिया से भी उन्हें राहत दी गई है। परंतु राज्य की अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ते ही और अधिक पैसों की जरूरत होगी।
वैसे में आत्मनिर्भर भारत योजना के बंद होने या बैंकों के पहले की तरह लोन में बेरुखी दिखाने से समस्या भी खड़ी हो सकती है।