हजारीबाग: लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में 18 मार्च, 1974 से प्रारंभ किए गए संपूर्ण क्रांति के आंदोलन की 47वीं वर्षगांठ पर हजारीबाग में ‘1974 का आंदोलन व हजारीबाग’ पुस्तक का विमोचन हुआ।
जैन मंदिर धर्मशाला में आयोजित इस कार्यक्रम में 1974 आंदोलन के साथियों ने हिस्सा लिया।
पुस्तक का लोकार्पण तत्कालीन समय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर समाज सेवा और जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले गिरिजा सतीश ने किया।
कार्यक्रम के दौरान 74 के आंदोलन के साथियों के अलावा इस आंदोलन में शामिल रहे और अब दिवंगत हो चुके साथियों के परिजनों को शॉल एवं स्मृति देकर सम्मानित किया गया।
आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले और पूर्व विधायक गौतम सागर राणा ने कहा कि 74 आंदोलन में हजारीबाग की भूमिका को लोगों के सामने लाने के लिए पुस्तक लिखी गई है।
इस पुस्तक के माध्यम से लोग 1974 के आंदोलन को हजारीबाग के परिप्रेक्ष्य में बहुत नजदीक से देख सकेंगे।
उन्होंने कहा कि यह पुस्तक आने वाले समय में 74 आंदोलन पर शोध करने वाले लोगों के लिए भी सहायक सिद्ध होगा।
गिरिजा सतीश ने कहा कि आज ही के दिन जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन की घोषणा की थी।
तब यह आंदोलन शिक्षा व्यवस्था में सुधार, भ्रष्टाचार की समाप्ति, जाति वर्ग भेद समाप्त करने एवं महंगाई के मुद्दे पर हुआ था। आज भी परिस्थितियां वैसी ही हैं।
ऐसे में जेपी आंदोलन की प्रासंगिकता आज के समय में भी मौजूद है।
74 के आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले हरीश श्रीवास्तव ने कहा कि जेपी का हजारीबाग से बहुत पहले से ही संबंध रहा है।
आजादी के समय में ही 1942 में जेपी जेल की दीवार को फांद कर यह साबित किया था कि अंग्रेजों की दीवार काफी छोटी है।
उन्होंने कहा कि छात्र आंदोलन में भी जेपी दो बार हजारीबाग पहुंचे और हजारीबाग में उनके आंदोलन का व्यापक असर देखा गया था। हजारों लोग इस आंदोलन में सहभागी बने थे।
कार्यक्रम में 50 से अधिक 74 के आंदोलन के साथी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।