न्यूज़ अरोमा गढ़वा: शिक्षक के हाथ में उसके छात्रों का पूरा भविष्य होता है और उसके साथ हम खिलवाड़ नहीं कर सकते।
आपको बता दें कि गढ़वा के पटियाला में कुछ इसी तरह का शर्मनाक मामला सामने आया है।
जहां शिक्षक को बच्चों को पढ़ाने उनके सपनों को पूरा करने की ज़िम्मेदारी होती वहीं एक पारा शिक्षक ने ऐसा किया जिससे सभी अश्चार्ज में हैं।
लोग यही सोच रहे हैं की एक शिक्षक ऐसा कैसे कर सकता है। लेकिन ये सच है की एक शिक्षक ने ही ऐसा किया है। जिसने कई बच्चों की ज़िन्दगी बर्बाद कर दी है।
झारखंड में पारा शिक्षक दिलीप जायसवाल द्वारा स्कूलों में पढ़ने वाले नाबालिग बच्चों को बाहर काम करने के लिए भेजा जाता है। इसकी शिकायत के बाद चाइल्ड लाइन द्वारा सीडब्ल्यूसी को जानकारी दी गई।
जानकारी मिलने के बाद सीडब्ल्यूसी ने इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू कर दी।
नाबालिग लड़कों को काम करने के लिए बाहर भेजने वाले पारा शिक्षक पर कार्रवाई के लिए निर्देश दिया गया है।
ल कल्याण समिति के उपेंद्रनाथ दुबे ने मामले के सत्यापन और जांच के लिए भेजा। जांच में केतरी गांव के एक नाबालिग लड़का को बालश्रम के लिए भेजने की चल रही तैयारी का पता लगा।
इसके पहले आठ नाबालिग लड़कों को उसे आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में लार्सन एंड टूब्रो कंपनी में काम करने के लिए भेजा है।
सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर विजयवाड़ा भेजे गए सभी बच्चों को वापस लाने की कार्रवाई शुरू की गई हैं।
जबकि आरोपी पारा शिक्षक दिलीप जायसवाल के खिलाफ बाल श्रम के मामले में कार्रवाई शुरू की गई है। सीडब्ल्यूसी ने जिला शिक्षा अधीक्षक को पत्र भेजकर पारा शिक्षक पर विभागीय कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।