गिरिडीह: जिले के मधुबन में पारसनाथ क्षेत्र के मुद्दे पर आदिवासी समुदाय (Tribal Community) की महाजुटान रैली को संबोधित करते हुए झारखंड बचाओ मोर्चा (Jharkhand Bachao Morcha) के मुख्य संयोजक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि आदिवासियों का यह क्षेत्र पवित्र स्थल भी है।
यहां फागुन माह की पहली तिथि को विशेष पूजा-अर्चना होती है। उन्होंने कहा कि जो बाहरी लोग शिखरजी (Shikharji) को अपना बताने पर आमादा हैं, वह सही नहीं है। आदिवासी समाज अपना हक और अधिकार लेना जानता है। जरूरत पड़ी तो उग्र आंदोलन होगा।
रैली में पूर्व सांसद सालखन मुर्मू, पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, जयराम महतो, सिकन्दर हेम्बम समेत समेत देश के कई भागों से आए लोगों ने आदिवासियों को संबोधित किया।
आदिवासी समाज के नेताओं ने कहा कि सदियों से पारसनाथ (Parasnath) क्षेत्र उनके आराध्य धर्मगुरू मरांग बुरु जाहेर स्थल है, जिसका उल्लेख 1956 के बिहार -हजारीबाग गजट में अंकित है।
पारसनाथ पहाड़ में सदियों से मरांग बूरु का पवित्र तीर्थस्थल है
गीताश्री उरांव ने कहा कि पारसनाथ पहाड़ में सदियों से मरांग बूरु का पवित्र तीर्थस्थल है, जहां आदिवासी समुदाय के लोग विधि विधान और अपने संस्कृति के अनुसार पूजा करते आ रहे हैं।
अब ऐसे में कोई बाहरी आ जाएं और उसे अपना बता दें, ये नहीं होने दिया जाएगा। इसका विरोध आदिवासी समुदाय के लोग उग्र हो करेंगे।
रैली में मौजूद लोगों ने एक स्वर से कहा कि पारसनाथ पर्वत पर जैन समाज एकाधिकार जता रहा है। अफसोस इस बात का है कि इस मामले में सरकार के नुमाइंदे भी मौन धारण किए हुए हैं।
सरकारों पर लगाया आरोप
इससे पूर्व मारंग बुरु (Marang Buru) के मुद्दे पर पारसनाथ बचाओ आंदोलन के बैनर तले पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत मंगलवार को महाजुटान रैली निकाली गई।
रैली में बड़ी संख्या में राज्य के विभिन्न इलाकों से समाज के लोगों का जुटान हुआ था। रैली में कई गैर आदिवासी संगठनों के लोग भी शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि इस दौरान रैली मधुबन फुटबॉल मैदान (Madhuban Football Ground) से निकल कर बाजार का भ्रमण करते हुए पर्वत मार्ग तक गई, जहां केन्द्र सरकार व झारखंड सरकार का पुतला दहन किया गया। सरकारों पर आरोप लगाया गया कि दोनों सरकारें आदिवासियों की भावनाओं उपेक्षा कर रही है।
CCTV और ड्रोन कैमरों से राखी गई नजर
झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग ने आदिवासी समाज के आरोपों को भ्रामक बताते हुए खंडन किया है।
विभाग ने स्पष्ट किया कि पारसनाथ को लेकर आठ सदस्यीय कमेटी का गठन होगा, जिसमें दोनों जैन समाज से एक-एक और आदिवासी समाज से एक सदस्य को शामिल करने का नीतिगत निर्णय लिया गया है।
रैली के मद्देनजर जिला एवं पुलिस प्रशासन (District and Police Administration) ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये थे। CCTV और ड्रोन कैमरों से नजर रखी जा रही थी। इसकी मॉनिटरिंग जिला मुख्यालय में की जा रही थी।
आज की रैली को देखते हुए मधुबन बाजार बंद था। एक दर्जन से अधिक मजिस्ट्रेट प्रतिनियुक्त (Magistrate Deputation) किये गये थे। चारों तरफ पुलिस बल की तैनाती की गयी थी। पुलिस के जवान सुबह से ही सड़कों पर गश्त लगाते दिखे।