नई दिल्ली: यूके के जज सैम गूजी ने रिटायर्ड भारतीय जज अभय थिप्से और मार्कंडेय काटजू की तरफ से भगोड़े हीरा कारोबारी मोदी के समर्थन में विशेषज्ञ के रूप में राय को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
जज गूजी ने दोनों भारतीय जजों को खरी-खरी सुनाई। थिप्से ने दावा किया था कि नीरव के खिलाफ सबूत भारतीय कानून के तहत धोखाधड़ी और क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट के क्राइटेरिया को पूरा नहीं करेंगे।
यूके के जज गूजी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू की गवाही पर सवाल उठाए। काटजू ने वेस्टमिंस्टर कोर्ट में एक विशेषज्ञ के रूप में नीरव मोदी के पक्ष में बाते कही थीं।
काटजू ने कहा था कि भारत में जूडिशरी का अधिकांश हिस्सा भ्रष्ट है और जांच एजेंसियां सरकार की ओर झुकाव रखती हैं।
लिहाजा नीरव मोदी को भारत में निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा। गूजी ने काटजू के बयान को हैरान बकरने वाला, अनुचित और तुलनात्मक रूप से ठीक नहीं माना।
उन्होंने कहा कि मेरी नजर में उनकी राय निष्पक्ष और विश्वसनीय नहीं थी। यूके जज ने कहा कि काटजू ने भारतीय जूडिशरी में इतने ऊंचे ओहदे पर काम किया है।
इसके बावजूद उनकी पहचान ऐसे मुखर आलोचक के रूप में रही है जिनका अपना एजेंडा होता है। मुझे उनके सबूत के साथ ही उनका व्यवहार भी सवालों के घेरे में लगा।
जज सैम गूजी ने काटजू की पूर्व सीजेआई की टिप्पणी का भी उल्लेख किया। पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने पर काटजू ने फेसबुक पोस्ट में उनकी कड़ी आलोचना की थी।
जबकि काटजू रिटायरमेंट के बाद खुद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन रहे थे। जज गूजी ने पूर्व जज थिप्से को लेकर पिछले साल मई में लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र किया।
रविशंकर प्रसाद ने थिप्से को राहुल गांधी का खास बताते हुए कांग्रेस की शह पर नीरव मोदी के पक्ष में गवाही देने के आरोप लगाए थे।
जज ने कहा कि यह साफ था कि कानून मंत्री होते हुए भी यह प्रेस कॉन्फ्रेंस भाजपा का राजनैतिक पक्ष रखने के लिए थी। इसके बावजूद इसने खूब सुर्खियां बटोरी थीं।
थिप्से रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।