रांची: एक 11 साल के बच्चे का सिक्यूरिटी गार्ड द्वारा यौन शोषण किये जाने का मामला सामने आया था। इस मामले में रांची जिला प्रशासन ने मंगलवार को सख्त कार्रवाई की।
रांची के डीसी के निर्देश और जिला समाज कल्याण शाखा के आदेश के बाद हेहल स्थित बालाश्रय को मंगलवार को सील कर दिया गया। इतना ही नहीं, उक्त बालाश्रय में रहनेवाले 19 बच्चों को निवारणपुर स्थित आदिम जनजाति सेवा मंडल में शिफ्ट कर दिया गया है।
उक्त बालाश्रय के खिलाफ की गयी यह कार्रवाई प्रभारी जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी दुर्गा शंकर प्रसाद की मौजूदगी में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने की। कार्रवाई सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक चली।
इस दौरान बालाश्रय में मौजूद सामान को भी जब्त किया गया। साथ ही, बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए बालाश्रय में मिले सूखा राशन को आदिम जनजाति सेवा मंडल को सौंप दिया गया। वहीं, बच्चों से जुड़े दस्तावेजों को भी दूसरे शेल्टर होम के सुपुर्द कर दिया गया है।
वहीं, विशेष देखरेखवाले बच्चों की मेडिसीन फाइल और दवाओं को संबंधित संस्था के अधिकारियों को सौंप दिया गया। पंडरा ओपी और चुटिया थाना की पुलिस की निगरानी में बच्चों को हेहल से निवारणपुर शिफ्ट किया गया।
सील करने के बाद दौरान बालाश्रय परिसर में मौजूद वाहनों को भी अंदर बंद कर दिया गया। गौरतलब है कि आठ अक्टूबर को बालाश्रय में एक 11 वर्षीय बच्चे के साथ सिक्यूरिटी गार्ड शंबु प्रसाद द्वारा यौन शोषण किये जाने का मामला सामने आया था।
बालाश्रय संचालिका डॉ स्मिता गुप्ता ने सीडब्ल्यूसी और डीसीपीओ को घटना की सूचना दी थी। उसके बाद डॉ स्मिता गुप्ता ने ही नौ अक्टूबर को पंडरा ओपी में प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
इसके बाद बालाश्रय की प्रबंधन कमिटी पर जांच बैठी और कई तरह की खामियां मिलीं और इन्हीं खामियों की बुनियाद पर उक्त बालाश्रय के खिलाफ यह कार्रवाई की गयी।
इधर, सीडब्ल्यूसी, रांची के सदस्य बैद्यनाथ कुमार ने कहा, “कोई भी बालाश्रय या बालगृह चलानेवालों के लिए यह कार्रवाई एक तरह से चेतावनी है। वे बच्चों के हित और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विशेष सावधानी बरतें।
जो घटना इस बालाश्रय में हुई, वह काफी दुखद है। ऐसी घटना दोबारा न हो, इस पर सभी को ध्यान देना होगा।” वहीं, सीडब्ल्यूसी, रांची की सदस्य तनुश्री सरकार ने कहा, “बालाश्रय की जांच रिपोर्ट के बाद उसे बंद करने की अनुशंसा की गयी थी। यह जांच जिला डालसा और सीडब्ल्यूसी के माध्यम से की गयी थी। इसके बाद हमलोगों को डीसीपीओ के माध्यम से डीसी का ऑर्डर मिला और हमलोगों ने कार्रवाई की।”