नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने चेतावनी दी है कि भारत में तेजी से फैल रहा कोविड-19 का एक वेरिएंट बेहद संक्रामक है।
ये वेरिएंट शरीर में वैक्सीन को चकमा देकर देश में महामारी के विस्फोट का कारण बन सकता है। स्वामीनाथन ने कहा कि भारत में आज हम महामारी के जिन पहलुओं को देखते हैं, वो संकेत दे रहे हैं कि ये बड़ी तेजी से फैलने वाला वेरिएंट है।
क्लीनिकल साइंटिस्ट स्वामीनाथन कहती हैं, ‘पिछले साल अक्टूबर में पहली बार भारत में डिटेक्ट हुआ कोविड-19 का बी.1.617 वेरिएंट स्पष्ट रूप से भारत में तबाही का प्रमुख कारक था।
‘ उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ये भारत में फैल रहे वेरिएंट में सबसे तेजी से फैलने वाला वेरिएंट हो सकता है।
डब्ल्यूएचओ ने इसे हाल ही में ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में लिस्टेड किया है जो वायरस की कई उप-प्रजातियों, विभिन्न प्रकार के म्यूटेशन और उनकी विशेषताओं को गिनाता है।
स्वामीनाथन ने कहा कि ये संकेत है कि यह वेरिएंट अपने मूल रूप से कहीं ज्यादा जानलेवा और संक्रामक है। यहां तक कि ये वेरिएंट शरीर में वैक्सीन प्रोटेक्शन को भी चकमा दे सकता है। अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई नेशनल हेल्थ अथॉरिटीज ने बी.1.617 वेरिएंट को लेकर चिंता जाहिर की है।
स्वामीनाथन को उम्मीद है कि डब्ल्यूएचओ जल्द ही इस पर काम करेगा। उन्होंने कहा कि बी.1.617 वेरिएंट चिंताजनक हो सकता है क्योंकि इसमें कुछ म्यूटेशन ऐसे हैं जो ट्रांसमिशन को बढ़ाते हैं और वैक्सीन या नैचुरल इंफेक्शन से उत्पन्न होने वाले एंटीबॉडीज को बनने से रोकते हैं।
हालांकि स्वामीनाथन ने ये भी कहा कि भारत में तेजी से बढ़ते मामलों और मौतों के लिए अकेले इस वेरिएंट को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बड़े पैमानें पर लोगों की भीड़ इकट्ठा होने से भी यहां हालात बदतर हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य राजनेताओं द्वारा आयोजित बड़े पैमाने पर चुनावी रैलियों को भी संक्रमण की रफ्तार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
स्वामीनाथ ने कहा कि जब भारत में लोगों को लगा कि यहां कोरोना वायरस का संकट अब खत्म हो चुका है तो उन्होंने मास्क और बचाव के अन्य तरीकों को त्याग दिया।
लेकिन उस वक्त भी वायरस खामोशी के साथ फैलता रहा।कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए देशभर में अब वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
लेकिन इस पर स्वामीनाथन ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस खतरे को अकेले वैक्सीन के दम पर रोकना असंभव है।
उन्होंने कहा, भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देश है और 130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस देश की कुल 2 प्रतिशत जनसंख्या को ही पूरी तरह वैक्सीनेट किया गया है।
यानी देश की 70-80 प्रतिशत आबादी को वैक्सीनेट करने के लिए यहां साल नहीं तो कई महीने का समय तो लग सकता है।
उन्होंने कहा कि संक्रमण की रफ्तार को कम करने के लिए भविष्य में हमें पब्लिक हेल्थ और सार्वजनिक उपायों पर निर्भर रहने की आवश्यकता है।
स्वामीनाथन ने कहा, ‘भारत में लगातार बढ़ रहे मामले और मौतों से स्थिति न सिर्फ भयावह है, बल्कि इंफेक्शन नंबर बढ़ने से भी खतरनाक वेरिएंट के उभरने की संभावना बढ़ती है।
वायरस जितना ज्यादा अपनी संख्या बढ़ाएगा और संक्रमण फैलेगा, म्यूटेशन से खतरे की संभावना भी उतनी ही ज्यादा बढ़ेगी।
‘बता दें कि बीते शनिवार को ही भारत में पहली बार कोविड-19 से 24 घंटे में 4000 से ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं और 4 लाख से ज्यादा मामलों की पुष्टि हुई है।
देश की राजधानी दिल्ली को इससे कड़ा संघर्ष करना पड़ा और उसका हेल्थ केयर सिस्टम पूरी तरह चरमरा गया।
कई विशेषज्ञों को संदेह है कि इस दौरान हुई आधिकारिक मौतें और मामले कम बताए गए हैं। इनकी संख्या ज्यादा भी हो सकती है।