Toll tax on highways: नेशनल हाईवे पर किस तरह से सरकार को चूना लगाया जा रहा है। इसका एक मामला हाल ही में मीडिया ने उजागर किया है।
नेशनल हाईवे के नागौर के गोगेलाव और बीकानेर के पारवा TOLL नाको पर TAX वसूली के जरिए सरकारी खजाने को बड़ा चूना लगाए जाने का मामला उजागर हुआ है।
बिना फास्टैग के वाहन से नगद और UPI भुगतान के जरिए फर्जी रसीदों के माध्यम से टोल टैक्स वसूल किया जाता है। जिन वाहनों पर Fastag लगा होता है सेंसर में गड़बड़ी करके उनसे भी टोल नाके के कर्मचारियों द्वारा नगद वसूली की जाती है।
नगद टोल टैक्स वसूली में सरकार का हिस्सा गायब हो जाता है। सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपए का नुकसान टोल चलाने वाले ठेकेदार पहुंचा रहे हैं।
फर्जी रसीदों के जरिए टोल नाकों के माध्यम से प्रतिदिन लाखों रुपए की वसूली की जा रही है। TOLL नाको पर जो कैश ट्रांजैक्शन हो रहा है। उसमें सबसे ज्यादा गड़बड़ी हो रही है। इस फर्जीवाड़े में राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारी भी शामिल बताए जाते हैं।
TOLL नाको पर असली प्रिंटर के साथ एक अतिरिक्त प्रिंटर जोड़ दिया जाता है। बिना फास्ट्रेक के जो गाडिय़ां निकलती हैं। उन्हें एक ही बैरियर से गुजारा जाता है।
इस बैरियर का प्रिंटर मोबाइल और यूपीआई से अटैच कर दिया जाता है।इसी माध्यम से सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। जब अधिकारी चेकिंग करने के लिए आते हैं।
तब अतिरिक्त प्रिंटर को हटा दिया जाता है। एक मीडिया हाउस द्वारा लगभग 3 महीने तक लगातार निगरानी करने और तथ्यों को एकजुट करने के बाद यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है।
TOLL नाकों पर तरह-तरह से फर्जी दस्तावेज तैयार किये जा रहे हैं। NHAI को भेजी जाने वाली जानकारी और रिपोर्ट अलग होती है।ठेकेदार को भेजे जाने वाली रिपोर्ट अलग होती है।
टोल नाका 24 घंटे संचालित होते हैं। यहां पर तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई जाती है। बड़े सुनियोजित रूप से यह फर्जीवाड़ा टोल नाके के ठेकेदारों द्वारा किया जा रहा है।
इस तरह की गड़बड़ी का यह मामला पहली बार खुलकर सामने आया है। जब भी इस तरह की शिकायतें नेशनल हाईवे के अधिकारियों को की जाती है।
अधिकारी जांच करने की बात कहकर मामले को रफा दफा कर देते हैं। जिसके कारण सरकारी खजाने को TOLL नाको के माध्यम से करोड़ों रुपए का चुनाव हर माह लगाया जा रहा है। अधिकारियों और ठेकेदारों की मिली भगत से यह गड़बड़ घोटाला पिछले कई वर्षों से चल रहा है।