नई दिल्ली: भारत ने लगातार दूसरे दिन मंगलवार को सुबह लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘हेलीना’ का परीक्षण किया।
इस मिसाइल ने कल भी परीक्षण में एक नकली टैंक लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाकर नष्ट कर दिया था।
हेलीकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) ‘हेलीना’ के विकास परीक्षण पिछले साल ही पूरे किए जा चुके हैं।
अब भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के साथ ताबड़तोड़ उपयोगकर्ता परीक्षण किए जा रहे हैं। इसके बाद इस एटीजीएम के उत्पादन का रास्ता हो जाएगा और जल्द ही सशस्त्र बलों को टैंक गाइडेड मिसाइल इस्तेमाल करने के लिए सौंप दी जाएगी।
डीआरडीओ ने सोमवार को पोखरण फायरिंग रेंज से और आज लगातार दूसरे दिन लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्वदेशी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) से लॉन्च करके मिसाइल का परीक्षण दोनों सेनाओं की निगरानी में किया। ‘हेलीना’ मिसाइल ने नकली टैंक लक्ष्य को सीधे निशाना बनाकर नष्ट कर दिया।
यह तीसरी पीढ़ी की फायर-एंड-फॉरगेट क्लास एटीजीएम है जो स्वदेशी उन्नत लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) पर लगाई जानी है। इसकी न्यूनतम मारक सीमा 500 मीटर और अधिकतम सीमा 7 किलोमीटर है।
राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना और वायु सेना को बधाई दी
सेना के वरिष्ठ कमांडरों और डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की निगरानी में किए गए परीक्षण के दौरान मिसाइल को एक इन्फ्रारेड इमेजिंग सीकर से निर्देशित किया गया जो लॉन्च होने से पहले लॉक ऑन मोड में काम करता है।
यह दुनिया के सबसे उन्नत एंटी टैंक हथियारों में से एक है। हेलीकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली नाग मिसाइल की रेंज बढ़ाकर इसे ”हेलीना” का नाम दिया गया है। इसकी संरचना नाग मिसाइल से अलग है।
मिसाइल का लॉक ऑन चेक करने के लिए 2011 में पहली बार एक लक्ष्य पर लॉक करके लॉन्च किया गया। उड़ान के दौरान हिट करने के लिए दूसरा लक्ष्य दिया गया जिसे मिसाइल ने नष्ट कर दिया।
इस तरह मिसाइल ने उड़ान में रहते हुए अचानक बदले गए लक्ष्य को मारने की क्षमता का प्रदर्शन किया। 13 जुलाई, 2015 को एचएएल ने तीन परीक्षण जैसलमेर, राजस्थान की चांधन फायरिंग रेंज में रुद्र हेलीकॉप्टर से किये।
मिसाइलों ने 7 किलोमीटर की दूरी पर दो लक्ष्य मार गिराने में कामयाबी हासिल की, जबकि एक का निशाना चूक गया था।
विकास परीक्षण पूरे होने के बाद अब यह मिसाइल सीधे और शीर्ष हमले के मोड में है, जो नई सुविधाओं के साथ उन्नत है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त रूप से इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना और वायु सेना को बधाई दी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने भी कठिन परिस्थितियों में किए गए सराहनीय कार्य के लिए इस कार्य में लगी टीमों को सराहा है।