New Delhi : भारत एक नेशनल मिलिट्री स्पेस पॉलिसी बना रहा है। इसमें स्पष्ट हो सकेगा कि भारतीय सेनाओं के साथ-साथ इसरो व देश की अन्य स्पेस एजेंसियां राष्ट्रीय सुरक्षा में कैसे अहम योगदान दे सकती हैं। भारत की यह मिलिट्री स्पेस पॉलिसी अगले करीब तीन महीने में तैयार हो जाएगी।
CDS ने दी योजना की झलक
सोमवार को भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने इसका जिक्र किया। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारत अपनी नेशनल मिलिट्री स्पेस पॉलिसी जारी करेगा। इसके साथ ही भारत की सेना के तीनों अंग यानी आर्मी, एयरफोर्स और नौसेना भी अपनी साझा स्पेस डॉक्ट्रिन अगले कुछ महीनों में रिलीज करने जा रहे हैं।
‘डेफस्पेस’ में हुआ अंतरिक्ष युद्धों का मंथन
उन्होंने स्पेस वारफेयर से जुड़ी ये अहम जानकारी ‘डेफस्पेस’ वार्षिक कार्यक्रम के अवसर पर साझा की। यहां भविष्य के युद्धों का भी जिक्र किया गया।
तकनीक के नए युग की तैयारी में भारत
गौरतलब है कि विभिन्न अवसरों पर रक्षा विशेषज्ञ बोल चुके हैं कि भविष्य के युद्ध स्पेस से जुड़े होंगे। भविष्य में युद्धों की तकनीक एक नए आयाम तक पहुंचने वाली है। पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ दुश्मन के सैटेलाइट कम्युनिकेशन को जाम कर देना, वहीं, सैटेलाइट को मिसाइल के जरिए मार गिराना, ये वे तकनीक हैं, जिनको देखकर कहा जा सकता है कि भविष्य के युद्ध अंतरिक्ष में लड़े जा सकते हैं। यही वजह है कि भारत ने भी इस दिशा में अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
ए-सैट और डीएसए के ज़रिए अंतरिक्ष में दबदबा
इसके मद्देनजर भारत ने अपनी एंटी-सैटेलाइट (ए-सैट) मिसाइल भी तैयार की है। यही नहीं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के अधीन डिफेंस स्पेस एजेंसी (डीएसए) का गठन भी किया जा चुका है। हालांकि, असल युद्ध में किस एजेंसी की क्या भूमिका होगी, इस पर विस्तृत चर्चा बाकी है।
स्पेस डॉक्ट्रिन से होगा सैन्य समन्वय मजबूत
यही कारण है कि अब मिलिट्री स्पेस डॉक्ट्रिन बनाने का काम तेजी और समन्वय के साथ किया जा रहा है। यह काम पूरा होने के उपरांत वायुसेना से लेकर अन्य एजेंसियों का चार्टर इस दिशा में स्पष्ट हो जाएगा।