Central Desk: भारत और मालदीव (India and Maldives) दोनों के बीच पूर्व से ही अच्छे संबंध रहें हैं, लेकिन बीते कुछ समय से राजनीतिक मामलों और विवादित टिप्पणियों ने इस रिश्ते में खटास ला दी हैं। दोनों देशों के के रिश्तों में राजनीति की अहम भूमिका है। वहीं मालदीव में पर्यटन तथा भारतीय पर्यटकों का मालदीव जाना GDP में एक अहम भूमिका निभाता है।
हालांकि,विदेश मंत्रालय राष्ट्रीय हित और नीतियों के मुताबिक दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में संतुलन बनाने के प्रयास करता है। हालांकि, ताजा घटनाक्रम दोनों देशों के रिश्तों में आई दरार का है।
सोशल मीडिया पर बायकॉट मालदीव ट्रेंड (Boycott Maldives) हो रहा है। रिश्तों की दरार के बीच (PM Modi) नरेंद्र मोदी का नाम भी चर्चा में है। साथ ही PM मोदी पर मालदीव के मंत्री मरियम शिउना (Mariyam Shiuna) की विवादित टिप्पणी भी चर्चा में है। मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत के प्रति नजरिया भी चुनौतीपूर्ण है। आइए जानें क्या हैं पूरा मामला…
क्या मालदीव का पर्यटन होगा प्रभावित?
सोशल मीडिया(Social Media) यूजर्स मालदीव के बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं। लगातार दो दिनों तक लक्षद्वीप गूगल पर सबसे अधिक सर्च किया गया कीवर्ड(Keyword) बना रहा।
बायकॉट मालदीव ट्रेंड होने के मायने क्या हैं?
Maldives सालों से पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन स्थल रहा मालदीव भारत के लोगों की ड्रीम डेस्टिनेशन(Dream Destination) लिस्ट से गायब हो रहा है।
यूजर्स वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए शेयर कर रहे हैं कि उन्होंने अपनी मालदीव यात्रा कैंसिल करने के बाद लक्षद्वीप और दूसरी जगहों का प्लान बना रहे हैं। ऐसे में मालदीव के पर्यटन उद्योग को बड़ा झटका लगना तय माना जा रहा है।
हर साल पर्यटन से इतने पैसे कमाता हैं मालदीव..
मालदीव के लिए पर्यटन उद्योग कितना अहम है इसका अंदाजा इससे होता है कि 2021 में मालदीव को लगभग 3.49 बिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व पर्यटन से मिला। देश की जीडीपी (GDP) का लगभग 56 प्रतिशत टूरिज्म(Tourism) से आता है।
देश के अलावा पूरे दक्षिण एशिया में भी मालदीव का पर्यटन अग्रणी है। दक्षिण एशिया के कुल अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का लगभग 24 प्रतिशत महज़ मालदीव में आता है।
मालदीव पर्यटन उद्योग में भारतीयों का योगदान
मालदीव के पर्यटन उद्योग में भारतीयों का बड़ा योगदान है। हर साल दो लाख से ज्यादा पर्यटक मालदीव जाते हैं। उच्चायोग के मुताबिक 2022 में लगभग 2.41 लाख भारतीय मालदीव गए। 2023 में भी दो लाख लोग मालदीव गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में लक्षद्वीप दौरे पर गए जिसके बाद बायकॉट मालदीव ट्रेंड होने लगा।
इसके बैकग्राउंड में युवा मामलों की उप मंत्री मरियम शिउना ने अपमानजनक टिप्पणी की थी। पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने इसकी निंदा की थी। इसी बीच वर्तमान सरकार ने कहा है कि मंत्री शिउना का बयान सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं करती। सरकार ऐसी अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ कार्रवाई करने में हिचकिचाहट नहीं दिखाएगी।
PM Modi का लक्षद्वीप प्रवास: सोशल मीडिया पर ये दिखा असर
बता दें कि मालदीव की मंत्री शिउना ने पीएम मोदी के लक्षद्वीप प्रवास की तस्वीरों और वीडियो पर आपत्तिजनक और अपमानित करने वाल टिप्पणी की थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिउना के सहयोगी मालशा शरीफ ने भी पर्यटन अभियान के खिलाफ ऐसी अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। इनके खिलाफ सोशल मीडिया पर भारतीयों के बीच काफी आक्रोश देखा गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप के नैसर्गिक सौंदर्य और पर्यटन के क्षेत्र में क्षमता का जिक्र किया था। सोशल मीडिया यूजर्स कमेंट करने लगे कि अब लोगों को अपनी छुट्टी मालदीव की बजाय लक्षद्वीप में मनानी चाहिए।
चीन के कर्ज तले दबा हैं Maldives
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक मालदीव अरबों के कर्ज में डूबा है। चीन का लगभग 1.3 बिलियन डॉलर बकाया है। मालदीव का सबसे बड़ा बाहरी ऋणदाता चीन ही है। देश के कुल सार्वजनिक ऋण में लगभग 20 प्रतिशत चीनी योगदान है। ऐसे में अरबों के कर्ज में डूबे मालदीव को कई यूजर्स ने भारत के साथ न टकराने की नसीहत भी दी।
मालदीव-भारत के बीच टकराव को न्यूनतम करने के प्रयास
भारत और मालदीव के लिए नया ट्रेंड क्यों खतरनाक माना जा रहा है? यह समझना भी अहम है। चीन समर्थक मुइज्जू के शासनकाल में आशंका है कि मालदीव में फिर से चीन का दखल बढ़ेगा और भारत से मालदीव के रिश्ते कमजोर हो जाएंगे।
यह भी दिलचस्प है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू शपथ ग्रहण में भारत से केंद्रीय मंत्री किरेण रिजिजू गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों देशों की सरकारों के बीच टकराव को न्यूनतम करने पर बात हो रही है।
मालदीव सोशल मीडिया यूजर्स से कितना घबराया हुआ है इसका अंदाजा पूर्व राष्ट्रपति के ट्वीट से होता है। एक्स पर एक पोस्ट में भारत-हितैषी समझे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने कहा, एक प्रमुख सहयोगी देश के नेता के प्रति भयावह भाषा का इस्तेमाल गलत है।
इसका संज्ञान लेना मालदीव की सुरक्षा और समृद्धि के नजरिए से महत्वपूर्ण है। मुइज्जू सरकार को इन टिप्पणियों से खुद को दूर रखना चाहिए। भारत को स्पष्ट आश्वासन देना ।
मुइज्जू की विदेश नीति में भारत की जगह पर सवाल?
पर्यटन से इतर मालदीव और भारत के रिश्तों में तल्खी प्रमुख कारण मालदीव की नई सरकार का विदेश नीति से जुड़ा फैसला भी है। मालदीव ने अपने देश से विदेशी सैनिकों को तैनाती हटाने के फैसले को एक बार फिर दोहराया है, इसमें भारतीय सैनिक भी शामिल हैं।
देश के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के शपथ के बाद ही उनके कार्यालय ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की गई कि सरकार ने भारत से देश से अपनी सैन्य मौजूदगी वापस लेने के लिए कहा है। इसे मुइज्जू की विदेश नीति माना जा रहा है।
भारत की सेना हटाने की मांग को मालदीव से बिगड़ते रिश्तों का सबसे मुखर संकेत माना जा रहा है। सवाल यह उठता है कि मालदीव में भारत के कितने सैनिक हैं? दरअसल, भारत ने हिंद महासागर के रणनीतिक क्षेत्र में भारत के 70 से ज्यादा सैनिक तैनात हैं।
अपनी विदेश नीति के तहत भारत ने इस क्षेत्र में स्थित माली को कई सैन्य हेलीकॉप्टर और जासूसी विमान तोहफे में दिए हैं। इसकी निगरानी के लिए मालदीव में भारतीय सैनिक तैनात हैं। ये कर्मी भारत प्रायोजित रडार और निगरानी विमान संचालित करते हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में भारतीय युद्धपोत देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गश्त करने में मदद करते हैं।
चीन और मालदीव की दोस्ती; भारत के लिए बढ़ सकती है चिंताएं
चूंकि भारत और चीन के संबंध बीते सालों से विवादित हैं तो इस स्थिती में चीन और मालदीव की दोस्ती भारत के लिए घातक साबित हो सकती है।
मालदीव-भारत के बीच टकराव को न्यूनतम करने के प्रयास
भारत और मालदीव के लिए नया ट्रेंड क्यों खतरनाक माना जा रहा है? यह समझना भी अहम है। चीन समर्थक मुइज्जू के शासनकाल में आशंका है कि मालदीव में फिर से चीन का दखल बढ़ेगा और भारत से मालदीव के रिश्ते कमजोर हो जाएंगे।
यह भी दिलचस्प है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू शपथ ग्रहण में भारत से केंद्रीय मंत्री किरेण रिजिजू गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों देशों की सरकारों के बीच टकराव को न्यूनतम करने पर बात हो रही है।
मालदीव सोशल मीडिया यूजर्स से कितना घबराया हुआ है इसका अंदाजा पूर्व राष्ट्रपति के ट्वीट से होता है। एक्स पर एक पोस्ट में भारत-हितैषी समझे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने कहा, एक प्रमुख सहयोगी देश के नेता के प्रति भयावह भाषा का इस्तेमाल गलत है।
इसका संज्ञान लेना मालदीव की सुरक्षा और समृद्धि के नजरिए से महत्वपूर्ण है। मुइज्जू सरकार को इन टिप्पणियों से खुद को दूर रखना चाहिए। भारत को स्पष्ट आश्वासन देना चाहिए।
पर्यटन से इतर मालदीव और भारत के रिश्तों में दरार प्रमुख कारण मालदीव की नई सरकार का विदेश नीति से जुड़ा फैसला भी है। मालदीव ने अपने देश से विदेशी सैनिकों को तैनाती हटाने के फैसले को एक बार फिर दोहराया है, इसमें भारतीय सैनिक भी शामिल हैं।
देश के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के शपथ के बाद ही उनके कार्यालय ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की गई कि सरकार ने भारत से देश से अपनी सैन्य मौजूदगी वापस लेने के लिए कहा है। इसे मुइज्जू की विदेश नीति माना जा रहा है।
भारत की सेना हटाने की मांग को मालदीव से बिगड़ते रिश्तों का सबसे मुखर संकेत माना जा रहा है। सवाल यह उठता है कि मालदीव में भारत के कितने सैनिक हैं?
दरअसल, भारत ने हिंद महासागर के रणनीतिक क्षेत्र में भारत के 70 से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। अपनी विदेश नीति के तहत भारत ने इस क्षेत्र में स्थित माली को कई सैन्य हेलीकॉप्टर और जासूसी विमान तोहफे में दिए हैं।
इसकी निगरानी के लिए मालदीव में भारतीय सैनिक तैनात हैं। ये कर्मी भारत प्रायोजित रडार और निगरानी विमान संचालित करते हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में भारतीय युद्धपोत देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गश्त करने में मदद करते हैं।
चीन और मालदीव की दोस्ती; भारत के लिए बढ़ सकती है चिंताएं
हालांकि, भारत के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को चीन हितैषी और भारत विरोधी भी माना जाता है। मोहम्मद मुइज्जु पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह की जगह आए हैं। सोलिह को भारत का समर्थक माना जाता था।
उनकी हार के साथ ही भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध खराब होने की आशंका जताई जाने लगी थी। मुइज्जू पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के समर्थक हैं और उनकी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। अब्दुल्ला यामीन को चीन का कट्टर समर्थक माना जाता है।
मुइज्जू भी चीन समर्थक हैं और चुनाव से पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के साथ एक बैठक में उन्होंने कहा भी था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन और मालदीव के रिश्तों का नया अध्याय शुरू होगा।
राष्ट्रपति मुइज्जू के चीन दौरे पर टिकीं नजरें
हिंद महासागर में मौजूद द्विपीय देश मालदीव, जनसंख्या और क्षेत्रफल के लिहाज से भले ही छोटा है, लेकिन रणनीतिक रूप से यह बेहद अहम है। दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री रास्तों में एक, मालदीव के काफी करीब से गुजरता है। ऐसे में हिंद महासागर में व्यापारिक माल की आवाजाही के लिहाज से मालदीव बेहद अहम है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति मुइज्जू भारत के साथ बातचीत जारी रखने के इच्छुक नहीं दिखते। उनकी हरकतें दिल्ली के साथ दूरियां बढ़ाने वाली हैं। चीन के साथ घनिष्ठ मित्रता को लेकर मुइज्जू का उत्साह भारत के लिए चिंता का विषय होना चाहिए।
मालदीव से थोड़ी दूरी पर ही डिएगो गार्सिया नामक द्वीप है, जिस पर अमेरिका और ब्रिटिश नौसेना तैनात रहती है। साथ ही पास ही मौजूद रियूनियन द्वीप समूह पर फ्रांसीसी सेना मौजूद है। ऐसे में मालदीव पर प्रभुत्व जमाकर चीन भारत समेत उक्त देशों की सेनाओं की भी जासूसी कर सकता है। मुइज्जू 8 जनवरी को चीन का दौरा करेंगे।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें आमंत्रित किया है। इस पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, फैसला मालदीव को करना है। वे कहां जाते हैं? अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर उनकी नीति क्या है? इस पर भारत का कोई हस्तक्षेप नहीं।
हरहाल, मुइज्जू और मोदी के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच रिश्तों की दरार कब नरम पड़ती है, नजरें इस पर टिकी हैं।