नई दिल्ली: भारतीय नौसेना और रॉयल थाई नौसेना के बीच भारत-थाईलैंड समन्वित गश्ती (इंडो-थाई कॉर्पेट) का 3 दिनों से चल रहा 30वां संस्करण शुक्रवार को खत्म हो गया।
30वीं इंडो-थाई कॉर्पेट भारतीय नौसेना की अंतर-संचालन को मजबूत करने और रॉयल थाई नौसेना के साथ दोस्ती के मजबूत बंधन बनाने के प्रयासों में योगदान करेगी।
भारत सरकार के दृष्टिकोण ’क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ के तहत भारतीय नौसेना हिन्द महासागर क्षेत्र में निगरानी के साथ मानवीय सहायता, आपदा राहत, अन्य क्षमता निर्माण और क्षमता-वृद्धि गतिविधियों में शामिल रही है।
भारत और थाईलैंड के करीबी और मैत्रीपूर्ण संबंध पिछले वर्षों में मजबूत हुए हैं। दोनों देशों की नौसेनाएं 2005 के बाद से वर्ष में दो बार समुद्री लिंक को सुदृढ़ करने के लिए अपनी अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के साथ-साथ हिन्द महासागर के इस महत्वपूर्ण हिस्से को सुरक्षित रखने, वाणिज्यिक शिपिंग और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से गश्त कर रही हैं।
यह कॉर्पेट दोनों नौसेनाओं के बीच समझ बढ़ाने के साथ ही अवैध रूप से मछली पकड़ने, मादक पदार्थों की तस्करी, समुद्री आतंकवाद, सशस्त्र समुद्री डकैती रोकने में मदद करता है।
तस्करी की रोकथाम, अवैध आव्रजन और समुद्र में एसएआर संचालन के लिए सूचनाओं के आदान-प्रदान द्वारा परिचालन तालमेल को बढ़ाने के लिए की गई इस गश्त में भारतीय नौसेना के पोत आईएनएस करमुक, स्वदेशी मिसाइल कार्वेट और थाईलैंड शिप क्रौरी, दोनों नौसेनाओं के डोर्नियर मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट के साथ चाओ फ्राया क्लास फ्रिगेट ने भाग लिया।
30वीं इंडो-थाई कॉर्पेट भारतीय नौसेना की अंतर-संचालन को मजबूत करने और रॉयल थाई नौसेना के साथ दोस्ती के मजबूत बंधन बनाने के प्रयासों में योगदान करेगी।