नई दिल्ली: चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 30 किमी. की दूरी पर 14.128 एकड़ रणनीतिक जमीन का अधिग्रहण किया है, जहां पर एक सैन्य चौकी की स्थापना की जाएगी।
रक्षा मंत्रालय पिछले कई महीनों से धीरे-धीरे चीन सीमा के साथ लगी रणनीतिक भूमि का अधिग्रहण कर रहा है। यह सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में केंद्र के रुख में बदलाव का संकेत है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम-2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार के तहत लगभग 150 आबादी वाले गांव में भूमि अधिग्रहण के लिए ’उचित प्राधिकारी’ के रूप में अधिसूचित किया है।
इसका मतलब यह है कि रक्षा मंत्रालय को अब इस 14.128 एकड़ जमीन का मालिकाना हक़ दे दिया गया है।
यह जमीन अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 30 किमी. की दूरी पर पश्चिम सियांग जिले के योरनी II गांव में स्थित है।
दरअसल एलएसी पर चीन के साथ गतिरोध के बीच केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय को चीन सीमा के इलाके में सैन्य चौकी स्थापित करने और विभिन्न सेना टुकड़ियों को तैनात करने के लिए इस भूमि के अधिग्रहण की सलाह दी थी।
संसद से 2013 में पारित भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार के अनुसार किसी भी भूमि को बिना किसी आवश्यकता के रक्षा उद्देश्यों, रेलवे और संचार के लिए अधिग्रहित किया जा सकता है।
इसी के तहत रक्षा मंत्रालय पिछले कुछ महीनों में धीरे-धीरे चीन सीमा के साथ लगी रणनीतिक भूमि का अधिग्रहण कर रहा है।
यह सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में केंद्र के रुख में बदलाव का संकेत है। भारत को यह भी आशंका थी कि कहीं इस जमीन पर चीन सीमावर्ती बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से सड़कों का उपयोग करने के लिए कब्ज़ा न कर ले।
इसलिए सीमावर्ती गांवों में भूमि अधिग्रहण करने के मामले में भारत के रुख में बदलाव आया है।
इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश में सुमदोरोंग चू फ्लैशपॉइंट के पास 202 एकड़ उस रणनीतिक भूमि का अधिग्रहण कर लिया है, जिस पर बरसों से चीन की नजर थी।
इसी जमीन को लेकर चीन के साथ 1986 में भारत के साथ विवाद हुआ था और दोनों देशों की सेनाएं आठ महीने तक आमने-सामने रही थीं। मौजूदा गतिरोध से पहले चीन के साथ यह आख़िरी मौका था, जब बड़ी तादाद में करीब 200 भारतीय सैनिकों को वहां तैनात किया गया था।
भारत ने चीन सीमा के करीब तवांग शहर से 17 किमी दूर बोमदिर गांव में लुंगरो ग्राज़िंग ग्राउंड (जीजी) की इसी 202.563 एकड़ पर नए रक्षा ढांचे को विकसित करने की योजना बनाई है।
इसीलिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 12 अक्टूबर, 2020 को तवांग जाने वाली एक महत्वपूर्ण सड़क पर नेचिफू सुरंग की भी आधारशिला रखी है।
इसका निर्माण भी सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) करेगा। इस सुरंग के बनने के बाद सेना के लिए चीन सीमा तक जाना आसान होगा।