नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के सामने मंगलवार को अजीब मामला सामने आया, जिसमें जेद्दाह के भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा एक भारतीय हिंदू पुरूष के मृत्यु प्रमाणपत्र में धर्म का गलत अनुवाद कर देने के कारण सऊदी अरब में उसके शव को गलती से दफना दिया गया।
इसके बाद व्यक्ति की पत्नी अपने पति के शव का अवशेष पाने के लिए जगह जगह भटक रही है।
महिला ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर उससे अनुरोध किया है, कि वह विदेश मंत्रालय को निश्चित समयसीमा में खोदकर शव का अवशेष निकालने एवं भारत लाने का निर्देश दे।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि यह महिला अपने पति के गुजरने के बाद जनवरी से ही अधिकारियों से संपर्क कर रही है, इसके बाद उसके पति के अंतिम संस्कार के लिए उसके शव का अवशेष लाने के लिए समुचित कदम उठाया जाना चाहिए था।
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, अब विदेश मंत्रालय के संबंधित अधिकारी, जो उप सचिव स्तर से नीचे के न हों, 18 मार्च को पेश होकर अदालत को बताएं कि मृतक के अवशेष को लाने के लिए अबतक क्या-क्या कदम उठाए हैं।
अदालत ने इस ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण मामला बताया। भारतीय नागरिक संजीव कुमार की हृदय गति रुक जाने से 24 जनवरी को सऊदी अरब में मौत हो गई थी जहां वह काम रहे थे। उनका शव एक अस्पताल में रखा गया था।
याचिकाकर्ता अंजू शर्मा ने अर्जी में कहा कि उनके पति की मौत के बाद परिवार ने प्रशासन ने शव को लाने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा, चौंकाने वाली बात यह थी कि 18 फरवरी को उन्हें (याचिकाकर्ता) को बताया गया कि सऊदी अरब में ही उनके पति का शव दफना दिया गया, जबकि परिवार के सदस्य भारत में शव लाए जाने का इंतजार कर रहे थे।
’’याचिका में कहा गया है, भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने बताया कि यह जेद्दा महावाणिज्य दूतावास के आधिकारिक अनुवादक की गलती थी जिसने मृत्यु प्रमाणपत्र में उसका धर्म गलती से मुस्लिम लिख दिया।
अधिकारियों ने जेद्दा में भारतीय वाणिज्य दूतावास की आधिकारिक अनुवाद एजेंसी का माफीनामा भी याचिकाकर्ता के साथ साझा किया।
’’ याचिका के अनुसार महिला या परिवार के किसी भी सदस्य ने कुमार के शव को दफनाने की मंजूरी नहीं दी थी।
याचिकाकर्ता ने वाणिज्य दूतावास से अनुरोध किया कि परिवार के धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करने के लिए खोदकर शव का अवशेष निकालने और उसे भारत लाने की व्यवस्था की जाए लेकिन सात सप्ताह बाद भी अधिकारी ऐसा नहीं कर पाएं।