नई दिल्ली: भारतीय नौसेना चीन से चल रहे तनाव के बीच वर्तमान भू-सामरिक वातावरण के संदर्भ में अपनी युद्धक क्षमता का परीक्षण करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में अभी तक के सबसे बड़े युद्धाभ्यास थिएटर लेवल ऑपरेशनल रेडीनेस एक्सरसाइज (ट्रोपेक्स 21) में जुटी हुई है।
इस महीने भर चलने वाले अभ्यास में नौसेना के युद्धपोत के साथ ही वायुसेना के लड़ाकू एवं टोही विमानों के अलावा सेना एवं भारतीय कोस्ट गार्ड के अन्य आधुनिक संसाधन भी हिस्सा ले रहे हैं।
नौसेना ने कहा, यह कवायद जनवरी की शुरुआत में शुरू हुई थी जो कि फरवरी के तीसरे सप्ताह तक समाप्त हो जाएगी।
नौसेना के अनुसार, इस अभ्यास में वह अपने आक्रमण और बचाव, दोनों ही क्षमताओं का आकलन कर रही है।
ऐसा समुद्री क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और हिंद महासागर में स्थिरता कायम रखने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
यह अभ्यास ऐसे समय में चल रहा है, जब भारत के संबंध पाकिस्तान के साथ ही चीन से भी बिगड़े हुए हैं।
सुरक्षा के तौर पर संभावित खतरे के बीच ट्रॉपेक्स-21 काफी मायने रखता है।
इसके अलावा इससे आईओआर और इंडो-पैसिफिक के मामले में भी भारत की भूमिका बढ़ेगी।
नौसेना ने कहा है कि इस अभ्यास में नौसेना की सभी तीन कमान भाग ले रही हैं।
साथ ही तीनों सेनाओं की पोर्ट ब्लेयर कमान भी साथ दे रही है।
ट्रॉपेक्स-21 अलग-अलग चरणों में आयोजित किया जा रहा है, जो शांति के समय से लेकर शत्रुता या युद्ध जैसे हालातों के समय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण का काम करेगा।
पहले चरण में नौसेना ने 12 और 13 जनवरी, 2021 को भारत के पूरे तटीय और द्वीप क्षेत्रों में तटीय रक्षा अभ्यास सी विजिल किया था।
सी विजिल की अवधारणा और भौगोलिक विस्तार में देश का पूरा तट और विशेष आर्थिक क्षेत्र शामिल था और इसमें शांति से लेकर युद्धकाल तक की आपात स्थितियों में उत्पन्न हो सकने वाली चुनौतियों की समीक्षा की गई।
भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने मुंबई में आतंकी हमले के बाद भारत की तटीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।