Destination Wedding Craze : अपने देश में शादी करने पर उसमें खर्च होने वाला पैसा अपने देश में ही रहता है, लेकिन अगर भारतीय विदेश में शादी (Wedding) करें तो उसमें खर्च होने वाली राशि से विदेश को फायदा होता है।
ऐसा देखने में आ रहा है कि देश में डेस्टिनेशन वेडिंग (Destination Wedding) का क्रेज बढ़ता जा रहा है। अगर 365 दिन की बात करें, तो लगभग 5000 हजार शादियां, विदेशी धरती पर संपन्न हो रही हैं।
एक लाख करोड़ हो जाते हैं खर्च
यानी विदेशी धरती पर भारतीय लोगों के एक लाख करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं। इतनी बड़ी मात्रा में भारतीय मुद्रा का विदेशों में जाने का मतलब, स्वदेशी अर्थव्यवस्था में नुकसान होना है।
इस स्थिति में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders), प्रधानमंत्री मोदी के ‘Wed In India‘ आह्वान को आगे बढ़ाने के लिए काम करेगा। ‘वेड इन इंडिया’ से देश की अर्थव्यवस्था एवं व्यापार को मजबूती मिलेगी।
साथ ही ‘CAT’ ने भारत के विभिन्न राज्यों में लगभग 100 प्रमुख शहरों एवं उनके आसपास 2 हजार से अधिक ऐसे स्थानों को चिन्हित किया है, जहां पर ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ हो सकती हैं।
इससे लोगों का ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ का शौक भी पूरा हो जाएगा और भारत का धन दूसरे मुल्कों में नहीं जाएगा। मतलब, हर साल भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने देहरादून में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के उद्घाटन के दौरान भी पूंजीपतियों से विदेश में जाकर शादी करने के बजाय उत्तराखंड में आकर डेस्टिनेशन वेडिंग करने की सलाह दी थी। उन्होंने भी कहा था कि अगर उत्तराखंड में एक साल में पांच हजार भी डेस्टिनेशन वेडिंग हुईं, तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत होगी।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने शनिवार को बताया, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ‘वेड इन इंडिया’ का आह्वान किया गया है। इससे देश की अर्थव्यवस्था एवं व्यापार को मजबूती मिलेगी।
डेस्टिनेशन शादियों पर लगभग एक लाख करोड़ रुपये विदेश में खर्च हो जाते हैं। इसके जरिए अनावश्यक तौर पर भारतीय मुद्रा, देश से बाहर जा रही है।
26 नवंबर को जब प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पहली बार इसका जिक्र किया, तो उसके बाद से ही कैट ने देश भर में व्यापारियों एवं सिविल सोसाइटी (Traders and Civil Society) के बीच डेस्टिनेशन वेडिंग को प्रोत्साहित करने का एक अभियान चलाया हुआ है।
विदेशों में भारतीय लोगों द्वारा डेस्टिनेशन शादियों के बारे में अभी तक कोई अधिकृत सर्वे नहीं हुआ है, इसलिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह कारोबार कितना होगा।
हालांकि एक मोटे अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 5,000 डेस्टिनेशन वेडिंग, विदेशों में संपन्न होती हैं। इन शादियों पर लगभग 75 हजार करोड़ रुपये से लेकर एक लाख करोड़ रुपये तक के खर्च का अनुमान है।
कैट के पदाधिकारियों ने कहा…
कैट के पदाधिकारियों ने कहा, भारत में 2 हजार से अधिक ऐसे स्थान हैं, जहां Destination Wedding हो सकती हैं। यदि देश का संपन्न वर्ग, विदेशों की बजाए, इन स्थानों पर डेस्टिनेशन वेडिंग करना शुरू कर दें, तो बाकी लोग भी विदेशी धरती पर शादी करने का मोह छोड़ देंगे।
भारत में मुख्य रूप से गोवा, महाराष्ट्र में लोनावाला, महाबलेश्वर, मुंबई, शिरडी, नासिक, नागपुर, गुजरात में द्वारिका, अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, मध्यप्रदेश में ओरछा, ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, इंदौर और जबलपुर आदि स्थानों पर डेस्टिनेशन वेडिंग हो सकती हैं।
राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर, पुष्कर, उत्तर प्रदेश में मथुरा, वृंदावन, आगरा, वाराणसी, कानपुर, दक्षिण भारत में चेन्नई, यादगिरी हिल, ऊटी, बंगलौर, हैदराबाद, तिरूपति, कोचीन, त्रिची, कोयंबतूर, पांडिचेरी सहित दिल्ली NCR में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव, मानेसर, बहादुरगढ़, फरीदाबाद तथा पंजाब-हरियाणा में चंडीगढ़, मोहाली, अमृतसर तथा जम्मू के नाम उल्लेखनीय हैं।
बड़ी मात्रा में स्थायी एवं अस्थायी उपलब्ध होगा रोजगार
खंडेलवाल (Khandelwal) के मुताबिक, ये सभी स्थान मध्यम बजट से लेकर किसी भी बड़े बजट की डेस्टिनेशन शादियों को करवाने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं। शादी संपन्न कराने के लिए आम से लेकर खास सुविधा एवं इंतजाम प्रदान करने वाली कंपनियों या ग्रुपों का एक बड़ा नेटवर्क पिछले वर्षों में भारत में विकसित हुआ है।
इस तरह की शादियों से संबंधित सामान एवं सेवाएं, आज देश में एक बड़े व्यापार का रूप ले चुकी हैं। डेस्टिनेशन शादी, चाहे देश में हो या विदेश में, उन्हें संपन्न कराने में इन कंपनियों या समूहों का बड़ा योगदान होता है।
अकसर प्रति वर्ष शादियों के मामले में देश में विभिन्न स्थानों पर हुई डेस्टिनेशन शादियां अपनी भव्यता अथवा विशेषताओं के कारण चर्चा का विषय बनती हैं। यह इस बात को साबित करता है कि प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान, भारत का धन देश में ही खर्च हो, की भावना के अनुरूप है।
डेस्टिनेशन शादियां, यदि अपने देश में ही हों, तो न केवल भारतीय संस्कार (Indian Culture) पल्लवित होंगे, बल्कि देश के व्यापार एवं अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। इसके चलते बड़ी मात्रा में स्थायी एवं अस्थायी रोजगार भी उपलब्ध होगा।