सीरिया: सीरिया (Syria) के रिफ्यूजी कैंप (Refugee Camp) ‘द अल होल’ में 13 साल के बच्चों को वियाग्रा दिया जा रहा है।
उन मासूम बच्चों के साथ ऐसा सीरिया डिटेशन कैंप (Syria Detention Camp) में रहने वाली ISIS महिलाएं कर रही हैं। ऐसा करने के पीछे उनका मकसद इस्लामी आबादी को बढ़ाना बताया जा रहा है। ये महिलाएं बच्चों को वियाग्रा (Viagra) देकर उनसे संबंध बनाती हैं।
2 बच्चों ने दी मामले की जानकारी
इस पूरे मामले का खुलासा दो बच्चों की शिकायत के बाद हुआ। दरअसल, कैंप में रह रहे 13 साल के अहमत और 14 साल के हमीद ने मदद के लिए गार्ड (Guard) से गुहार लगाई।
खबरों की मानें तो दोनों बच्चों ने गार्ड से कहा कि ‘हमें आतंकी महिलाओं (Terrorist women) के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
क्या आप हमें यहां से बार निकाल सकते हैं?’ अहमत और हामिद ने हाल ही में खुले ऑर्केश रिहैब फैसिलिटी (Orkesh Rehab Facility) के कर्मियों को बताया कि कई ISIS महिलाओं ने उनका यौन शोषण (Sexual Exploitation) किया। उनमें से एक को कुछ ही दिनों में 8 महिलाओं के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया था।
8,000 महिलाएं और बच्चे हिरासत में
बता दें कि साल 2019 में ISIS के हारने के बाद, सीरियाई सरकार (Syrian government) ने लगभग 8,000 महिलाओं और बच्चों को हिरासत में ले लिया, जो आतंकी संगठन से जुड़े थे। पुरुष ISIS आतंकियों को अलग शिविरों में रखा जाता है।
42 साल की महिला ISIS की लीडर
अमेरिका के कंसास की रहने वाली 42 साल की एलिसन फ्लूक-एकरेन (Alison Fluke-Akeren) मां होने के साथ ही स्कूल टीचर भी थी। लेकिन बाद में वो ISIS की लीडर बन गई।
एलिसन ने 2011 में आंतकी ग्रुप के साथ काम करने के लिए अमेरिका छोड़ दिया और पहले लीबिया फिर सीरिया में उनके साथ काम किया। साल 2021 में Alison Fluke-Akeren ने माना कि उसने सीरिया में ISIS की महिला मिलिट्री ग्रुप (Women’s Military Group) को लीड किया था। और वो वहां आर्म्स की ट्रेनिंग देती थी।
एडिशन पर 100 से ज्यादा बच्चों को ट्रेनिंग देने का आरोप
एलिसन को पिछले साल अक्टूबर में ही दोषी पाया गया था और 20 साल की सजा सुनाई गई थी। एलिसन पर 100 से ज्यादा बच्चों-लड़कियों को ट्रेनिंग देने का भी आरोप था।
लेकिन वर्जीनिया कोर्ट (Virginia Court) में एलिसन ने अपना जुर्म कबूलते हुए कहा कि उसने महिला और लड़कियों को ट्रेनिंग दी है। लेकिन उसने बच्चों को कभी ट्रेनिंग नहीं दी है।
15 साल की उम्र में आतंक का रास्ता चुना शमीमा बेगम ने
शमीमा बांग्लादेश (Bangladesh) मूल की ब्रिटिश नागरिक हैं। साल 2015 में अपनी दो सहेलियों के साथ ISIS में शामिल होने के लिए सीरिया चली गई। उस वक्त उसकी उम्र मात्र 15 साल थी।
सीरिया जाने के बाद बाकी दो लड़कियों का तो कोई पता नहीं चल सका। जबकि, शमीमा ने तुर्की पहुंचने के 10 दिन बाद रक्का में डच आतंकी से शादी कर ली। शमीमा पर आरोप है कि वो फिदायीन हमलावरों के लिए जैकेट बनाने में माहिर है।
हालांकि वो इससे इनकार करती है। साल 2019 में वो ISIS का साथ छोड़
कर अल हॉल रिफ्यूजी कैंप में रहने लगी। उस वक्त वो तीसरी बार मां बनने वाली थी। वो पहले भी दो बार मां बन चुकी है लेकिन उसका एक भी बच्चा आज जिंदा नहीं है। शमीमा ने एक इंटरव्यू (Interview) में कहा कि उसकी गलती बस इतनी है कि उसने एक आतंकी से शादी की। इसके अलावा उसने कोई गलत काम नहीं किया है।