नई दिल्ली: दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन सोमवार से प्रारंभ हुआ। इस सात दिवसीय सम्मेलन में भारत तथा सात अन्य देशों के 22 शिक्षा विशेषज्ञ स्कूली शिक्षा के विभिन्न विषयों पर विचार रखेंगे।
इनमें भारत, फिनलैंड, इंग्लैंड, जर्मनी, सिंगापुर, नीदरलैंड, अमेरिका और कनाडा के विशेषज्ञ शामिल हैं।
सम्मेलन में बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप द्वारा विगत पांच साल में दिल्ली के शिक्षा सुधारों पर स्वतंत्र स्टडी की रिपोर्ट भी जारी की गई।
स्कूल एजुकेशन रिफॉर्म्स इन दिल्ली 2015-2020 शीर्षक इस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की शिक्षा संबंधी विभिन्न पहलकदमियों के कारण आए बड़े बदलाव का विवरण मिलता है।
इसे बीसीजी के प्रोजेक्ट लीडर (सोशल इंपैक्ट) श्योकत रॉय ने प्रस्तुत किया।
रिपोर्ट के अनुसार 95 प्रतिशत से अधिक माता-पिता और शिक्षकों का मानना है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
इसमें यह भी बताया गया है कि शिक्षा विभाग ने सभी हितधारकों को जोड़कर स्थानीय समुदायों और स्कूलों के बीच की खाई पाटने में सफलता पाई है।
इससे सरकारी शिक्षा प्रणाली के प्रति अभिभावकों का भरोसा बढ़ा है।
सम्मेलन में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, शिक्षा ही देश के सोचने और जीने का तरीका हो, यही हमारा सपना है। हम शिक्षा के जरिए देश बदलने के लिए ही राजनीति में आए हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पिछले पांच साल में हमने स्कूलों का शानदार इंफ्रस्ट्रक्चर बनाने, टीचर्स ट्रेनिंग, बच्चों के रिजल्ट इत्यादि में काफी सफलता हासिल की है।
लेकिन असली सफलता तब मानी जाएगी, जब हर बच्चा देश के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून लेकर निकले और देश को बदलने में योगदान करे।
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य शिक्षा के जरिए समाज बदलना है।
हमारे बच्चे पढ़-लिखकर सच्चे देशभक्त बनकर निकलें और उनमें देश के लिए कुछ बेहतर करने की उद्यमी सोच हो।
अच्छी बिल्डिंग बनाना और 98 फीसदी रिजल्ट हासिल करना तो महज साधन है।
हम समाज बदलने के पॉजिटिव माइंडसेट वाले बच्चों के विकास का लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल के बाद स्कूल मैनेजमेंट कमेटी काफी महत्वपूर्ण होगी।
इस मौके पर लूसी क्रेहान ने की-नोट लेक्चर दिया।
लूसी क्रेहान ने पांच देशों की शिक्षा प्रणाली का गहन अध्ययन करके क्लेवर लैंड्स नामक चर्चित पुस्तक लिखी है।
उन्होंने कहा कि कोई भी शिक्षा प्रणाली सिर्फ मुट्ठी भर छात्रों को अच्छी शिक्षा देकर कभी न्यायसंगत नहीं हो सकती।
व्यापक स्टूडेंट्स को शामिल करके ही कोई शिक्षा प्रणाली श्रेष्ठ कहलाएगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को क्या पढ़ाना है, इसकी स्वायत्तता मिलना जरूरी है।
तभी बच्चे कक्षा में शिक्षण के साथ तालमेल रख सकते हैं।
दिल्ली सरकार कक्षा में शिक्षण को अधिक व्यावहारिक और उत्कृष्ट बनाने में सक्षम है।
यह सम्मेलन सोमवार को एसकेवी, नेहरू इन्क्लेव, कालकाजी में प्रारंभ हुआ।
आतिशी (विधायक एवं पूर्व शिक्षा सलाहकार) ने कहा कि दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण दिल्ली में हमें शिक्षा के क्षेत्र में यह सफलता मिली है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शिक्षा को दिल्ली सरकार की प्राथमिकता बनाया।