वाशिंगटन: अमेरिकी और ब्रिटिश एजेंसियों ने उन निष्ठुर तरीकों का खुलासा किया है जिनका इस्तेमाल कर रूसी खुफिया विभाग सैकड़ों सरकारी एजेंसियों, ऊर्जा कंपनियों तथा अन्य संगठनों की क्लॉउड सेवाओं में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है।
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) की ओर से जारी एक परामर्श में रूसी सैन्य खुफिया एजेंसी ‘जीआरयू’ से जुड़े साइबर हमलावरों के हमलों का विवरण दिया गया है।
इससे पहले भी जीआरयू पर अन्य देशों में बड़े साइबर हमले और अमेरिका के 2016 और 2020 के चुनावों में गड़बड़ी पैदा करने के आरोप लगाते रहे हैं।
साइबर सुरक्षा निदेशक रॉब जॉयस ने एक बयान में कहा कि ऐसा लगता है कि यह अभियान वैश्विक स्तर पर चल रहा है।
परामर्श में कंपनियों को ‘मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन’ और मजबूत पासवर्ड रखने जैसे पारंपरिक उपाय सुझाये गए हैं।
सरकारी तथा प्रमुख संस्थानों पर रैनसमवेयर हमलों के दौरान जारी किये गए परामर्श में घुसपैठ के अभियान के संभावित उद्देश्य और लक्ष्यों के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी गई है, मात्र इतना कहा गया है कि हैकरों ने दुनियाभर में सैकड़ों संस्थानों को अपना निशाना बनाया है।
परामर्श में कहा गया है कि जीआरयू से जुड़े हैकरों ने मूल रूप से गूगल द्वारा विकसित किये गए कूबरनेट्ज नामक सॉफ्टवेयर की सहायता से घुसपैठ करने की कोशिश की है।
अमेरिका कई बार रूस पर साइबर हमलों, दुष्प्रचार और जासूसी करने का आरोप लगा चुका है।
वाशिंगटन में रूसी दूतावास ने इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया और फेसबुक पर कहा, हमें उम्मीद है कि अमेरिकी पक्ष आधारहीन आरोप लगाने से बाज आएगा और रूसी विशेषज्ञों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय सूचना सुरक्षा पर काम करेगा।