बीजिंग: दोस्तों, 30 मई को चीन का पांचवां राष्ट्रीय विज्ञान व तकनीकी कार्यकर्ता दिवस मनाया जाता है। फिलहाल विज्ञान व तकनीकी सृजन विश्व में रणनीतिक लड़ाई में एक मुख्य मैदान बन गया है।
इस लड़ाई में जीत पाने के लिए विभिन्न देशों के वैज्ञानिक मेहनत से काम कर रहे हैं।
फिर चीनी वैज्ञानिक कैसे इसकी तैयारी कर रहे हैं? तो इस रिपोर्ट में हम मार्शल आर्ट के अभ्यास में शामिल कुछ रहस्यों के माध्यम से चीनी वैज्ञानिकों द्वारा उपलब्धियां पाने की व्याख्या करना चाहते हैं, क्योंकि दोनों में समानताएं होती हैं।
चीनी मार्शल आर्ट में तेज गति एक बहुत महत्वपूर्ण गुप्त रहस्य है, विज्ञान व तकनीकी सृजन में भी ऐसा है।
चीन के विकास की गति बहुत तेज व उल्लेखनीय है, जिसमें विज्ञान व तकनीकी सृजन की भूमिका कम नहीं है।
पिछले वर्ष यूट्यूब पर पोस्ट एक वीडियो को व्यापक विदेशी नेटेजनों की प्रशंसा मिली, जिसमें विज्ञान व तकनीक क्षेत्र में चीन द्वारा प्राप्त कुछ उपलब्धियों को दिखाया गया।
नेटिजनों ने क्रमश: संदेश क्षेत्र में यह लिखा कि वाह, ऐसा लगता है कि चीन में हर दिन कुछ नयी चीजें पैदा होंगी। कुछ ने लिखा कि चीनी लोग बहुत सक्षम हैं, मुझे उनकी तकनीक बहुत पसंद है।
कुछ ने लिखा कि चीन विश्व को महान बना रहा है, पर इसके विपरीत कोई देश इस दुनिया को नष्ट कर रहा है। और कुछ ने लिखा कि चीन टीम सहयोग के माध्यम से मानव के सपने को साकार कर रहा है।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा जारी वर्ष 2020 वैश्विक सृजन सूचकांक के अनुसार, चीन इस रैंकिंग तालिका में वर्ष 2015 के 29वें स्थान पर से वर्तमान के 14वें स्थान पर उन्नत हो गया है।
साथ ही, इस तालिका के पहले 30 देशों में चीन एकमात्र मध्यम आय वाला आर्थिक समुदाय है।
पांच सालों की कोशिश से चीन के विज्ञान व तकनीक कार्य का तेज विकास हुआ है, सृजन प्रणाली का सुधार किया गया, सृजन का वातावरण ज्यादा बेहतर हो गया, और सृजन की क्षमता भी स्पष्ट रूप से मजबूत हुई है।
ध्यानाकर्षक बात यह है कि हालांकि चीनी लोग तेज गति पर बल देते हैं, लेकिन विकास पाने के सही तरीके पर भी ज्यादा ध्यान दिया जाता है।
जैसे मार्शल आर्ट में शायद कुछ गुर बहुत शक्तिशाली हैं, और अभ्यास के बाद तेजी से प्राप्त किये जा सकते हैं, लेकिन उन गुरों का अभ्यास बहुत क्रूर और खूनी होता है।
इस तरह के गुर चीनी लोग खारिज करते हैं, क्योंकि ऐसे गुर सीखना सिर्फ दूसरों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने के लिए भी लाभदायक नहीं होगा।
लेकिन जापान ऐसे गुर का अभ्यास करने में खूब माहिर था। चीन के खिलाफ जापानी आक्रमण के युद्ध के दौरान जापानी सेना के 731 दल ने चीन में गुप्त रूप से जीवाणु हथियारों का अध्ययन करने के लिए तरह तरह के मानव प्रयोग किए।
उन्होंने चीनी बेगुनाहों के प्रति बहुत क्रूर अपराध किया है। जापानी 731 सैन्य दल की प्रयोगशाला में प्रवेश करने वाले चीनी लोगों में से कोई भी जीवित नहीं बच सकता था। लेकिन अमेरिका ने उक्त मानव प्रयोग डेटा को प्राप्त करने के लिए 731 सैन्य दल को जैविक युद्ध अपराधों से छूट दी, जिससे 731 दल सैन्य सुनवाई से बच गया।
और एक आश्चर्यजनक बात यह है कि सार्वजनिक सूचना के अनुसार, अमेरिका की फोर्ट डेट्रिक बायोलैब जापानी 731 सैन्य दल से घनिष्ठ संबंध रखती थी।
और 731 दल के प्रमुख इशीओ शिरो इस अमेरिकी बायोलैब के जैविक हथियार सलाहकार भी थे।
अगर उक्त सभी बातें वर्तमान की कोविड-19 महामारी से जुड़ती हो, तो यह एक कितना भयानक हालात है।
कोई आश्चर्य नहीं कि क्यों अमेरिका के पास विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिका में जांच-पड़ताल करवाने की हिम्मत व इच्छा नहीं है।
फिर हम एक साथ देखें कि चीनी वैज्ञानिकों ने कौन सी उपलब्धियां प्राप्त कीं। अभी अभी स्वर्ग में जाने वाले चीनी इंजीनियरिंग अकादमी के अकदमीशियन, हाइब्रिड धान के जनक युआन लुंगफिंग के प्रति क्यों विश्व की जनता से श्रद्धांजलि मिली? क्योंकि उन के अध्ययन में प्राप्त उपलब्धि सारे मानव समाज के लिए लाभदायक हैं। विश्व में हाइब्रिड धान तकनीक का व्यापक रूप से प्रयोग करने से वैश्विक अनाज आपूर्ति में काफी सुधार किया गया है, और वैश्विक भूख की संभावना दर को भी बड़े हद तक कम किया गया है।
फिजियोलॉजी और मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार विजेता, चीनी जीवविज्ञानी सुश्री थू योयो ने आर्टीमिसिनिन की खोज की। उन्होंने विश्व के लिये मलेरिया के खिलाफ एक नया दवा लाया है, और विश्व चिकित्सा विकास को मजबूत करने के लिए बड़ी मदद व भूमिका दी है। अब आर्टेमिसिनिन-आधारित संयोजन चिकित्सा (एसीटी) विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित मलेरिया के लिए सबसे अच्छा उपचार है, जिससे विश्व भर में लाखों लोगों की जान बचाई गई।
उनके अलावा, इस बार की कोविड-19 महामारी में भी चीनी वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उन्होंने सफलता से दुनिया में कोविड-19 वायरस का पहला स्ट्रेन अलग कर लिया, वायरल जीनोम अनुक्रमण प्राप्त किया, और नैदानिक उपचार, दवाओं, परीक्षण उपकरण, न्यूक्लिक एसिड डिटेक्शन किट, और विभिन्न किस्मों वाले टीकों का विकास किया।
उन्होंने विश्व में कोविड-19 महामारी के मुकाबले में चीन का नया योगदान दिया। साथ ही चीनी वैज्ञानिकों ने विश्व सवास्थ्य संगठन के दस कार्य दलों में शामिल होकर अमेरिका, यूरोप, एशिया, अफ्ऱीका, लैटिन अमेरिका व कैरेबियन आदि क्षेत्रों में स्थित देशों के साथ वैज्ञानिक आदान-प्रदान व सहयोग किए, चीन द्वारा प्राप्त नई उपलब्धियों को साझा किया, और चीन के उपाय को प्रदान किया।
और एक उदाहरण है, चीन की पेइतो नंबर तीन वैश्विक उपग्रह नेविगेशन प्रणाली। गत वर्ष के जुलाई के अंत से पेइतो प्रणाली का प्रयोग औपचारिक रूप से शुरू हुआ। जिससे इस प्रणाली ने व्यापक रूप से वैश्विक सेवा देने के नये युग में प्रवेश किया है।
गौरतलब है कि पेइतो प्रणाली का प्रयोग यातायात, परिवहन, सार्वजनिक सुरक्षा, आपदा के बचाव व राहत कार्य आदि क्षेत्रों में किया जाता है। वर्तमान में पेइतो प्रणाली का प्रयोग करने वाले देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी तक विश्व के कुल 120 से अधिक देशों व क्षेत्रों ने इसमें भाग लिया है। भविष्य में यह प्रणाली तथा संबंधित व्यवसाय चीन व विश्व के बीच संपर्क रखने का एक पुल बन जाएगी, और मानव साझा नियति समुदाय के निर्माण के लिये एक निरंतर शक्ति बन जाएगी।
जैसा चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 28 मई को आयोजित दोनों चीनी अकादमी सम्मेलनों और चीनी विज्ञान व तकनीक संघ की दसवीं राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा में भाषण दिया कि चीन विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में खुलेपन व सहयोग को विस्तार करने, वैश्विक विज्ञान व तकनीकी सृजन नेटवर्क में भाग लेने, सक्रिय रूप से मानव के सामने मौजूद बड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने, और ज्यादा से ज्यादा देशों व जनता को विज्ञान व तकनीकी सृजन में प्राप्त उपलब्धियों से लाभ मिलने को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
इस रिपोर्ट में हमने चीनी वैज्ञानिकों के अभ्यास रहस्य को खूब समझाया। एक चीनी कहावत है कि गुरु जी केवल सफलता पाने के लिए मेहनत की दिशा दर्शाते हैं, लेकिन सफलता मिलेगी या नहीं, जो भिन्न-भिन्न व्यक्तियों की कोशिश पर निर्भर है। आशा है आप लोग इस रिपोर्ट का सही मतलब महसूस कर पाएंगे।
(चंद्रिमा : चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)