लंदन: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, दक्षिणी गुएकेडौ प्रांत में कोरोना वायरस से भी खतरनाक मारबर्ग वायरस के पहले मामले की पुष्टि हुई थी और अब 150 से अधिक लोग इसके मारबर्ग वायरस के संक्रमण का शिकार हो चुके हैं।
इससे हाल ही में एक व्यक्ति की मौत भी हुई है जिससे क्षेत्र के लोगों में डर का माहौल है।
मारबर्ग वायरस रोग का पहली बार निदान 1967 में किया गया था और यह संक्रमण रक्तस्रावी बुखार पैदा करने में सक्षम है और ये इबोला के समान है। यह एक गंभीर बीमारी है जिसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
अफ्रीका के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के क्षेत्रीय निदेशक डॉ मतशीदिसो मोएती ने कहा, मारबर्ग वायरस के दूर-दूर तक फैलने की संभावना का मतलब है कि हमें इसे अपने ट्रैक में रोकने की जरूरत है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मारबर्ग वायरस चमगादड़ों से फैलता है और इसकी मृत्यु दर 88 प्रतिशत तक है।
मारबर्ग वायरस को इबोला और कोरोना से घातक बताया जा रहा है जो जानवरों से इंसानों में फैलता है।
यह वायरस संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक तरल पदार्थ का आदान-प्रदान होने पर यह एक व्यक्ति से दूसरे में भी फैल सकता है।
डब्ल्यूएचओ ने इस वायरस के बारे में जानकारी दी है कि जब कोई व्यक्ति इसके संपर्क में आता है, तो उसके बाद शरीर से निकलने वाला लिक्वीड सबस्टेंट सतहों और कई सामग्रियों को दूषित कर देता है।
इनके संपर्क में आने के बाद व्यक्ति इतनी बुरी तरह से संक्रमित होता है कि उसे सही इलाज न मिलने पर जान भी जा सकती है।
इसी ड्यूरेशन 2 से 21 दिनों तक के बीच हो सकती है। हो सकता है आपको एक वीक में ही इसके लक्षण दिखने लगें।
मालूम हो कि दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर पूरी तरह से थमा नहीं कि अब एक वायरस की पुष्टि हुई है जो कि कोविड के सभी वेरिएंट से खतरनाक बताया जा रहा है।