वॉशिंगटन: एक विशाल ऐस्टरॉइड पूरे वेग के साथ धरती की कक्षा में प्रवेश कर रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह ऐस्टरॉइड 220 मीटर चौड़ा है और 8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती के पास से गुजरेगा। इस ऐस्टरॉइड का नाम ‘2008 जीओ20’ है।
बताया जा रहा है कि आगामी 25 जुलाई को यह विशाल ऐस्टरॉइड धरती की कक्षा के पास से गुजरेगा। डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक इस ऐस्टरॉइड के धरती से टकराने की आशंका ‘बहुत ही कम’ है।
नासा ने इस ऐस्टरॉइड पर अपनी पैनी नजर बनाई हुई है। यह आकार में लंदन के बहुत चर्चित बिग बेन से आकार में दोगुना है। भारतीय समयानुसार 25 जुलाई को रात को करीब दो बजे गुजरेगा।
जिस कक्षा से यह ऐस्टरॉइड गुजरेगा, उसे अपोलो कहा जाता है। नासा ने इसे खतरनाक ऐस्टरॉइड की श्रेणी में रखा है। नासा इन दिनों दो हजार ऐस्टरॉइड पर नजर रखे हुए है जो धरती के लिए खतरा बन सकते हैं।
अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। नासा का सेंट्री सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है।
इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी आशंका है।
ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं।
हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं।
इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं।
करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए।
यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं।