वॉशिंगटन: एक विशाल ऐस्टरॉइड अगले हफ्ते धरती के करीब से गुजरने वाला है। यह ऐस्टरॉइड न्यूयॉर्क के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का दोगुना 187 मीटर लंबा है।
इसका नाम 441987 (2010 एनवाय65) रखा गया है। यह 13.4 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से अंतरिक्ष में चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक यह ऐस्टरॉइड 25 जून को धरती के करीब से गुजरेगा। तब यह धरती और चांद की दूरी से 15 गुना ज्यादा दूरी पर होगा।
यह सुनने में तो काफी दूर लगता है लेकिन फिर भी इसे नियर अर्थ ऑब्जेक्ट की श्रेणी में रखा जाता है।
इनकी स्टडी से सौर मंडल के इतिहास के बारे में जानने में मदद मिल सकती है। 441987 (2010 एनवाय65) को खतरनाक भी माना गया है।
हालांकि, इससे धरती को अभी खतरा नहीं है लेकिन भविष्य में हो सकता है। दरअसल, किसी भी ऐस्टरॉइड के ऊपर दूसरे ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण का असर होता है।
इसकी वजह से उनका रास्ता बदल जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे ही पहले भी ऐस्टरॉइड और उनके टुकड़े धरती से टकरा चुके हैं।
इसके अलावा सूरज की गर्मी से पिघलने और फिर ठंडा होने पर रेडिएशन के उत्सर्जन से भी इनका रास्ता बदल सकता है। इसे अरकोस्वी इफेक्ट कहते हैं।
रेडिएशन की वजह से ऐस्टरॉइड पर फोर्स थ्रस्टर की तरह काम करती है।
नासा के मुताबिक नियो धूमकेतु और ऐस्टरॉइड आसपास के ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के असर से ऐसी कक्षा में आ जाते हैं कि धरती के करीब से गुजरते हैं।
धूमकेतुओं और ऐस्टरॉइड्स में दिलचस्पी इसलिए रहती है क्योंकि 4.6 अरब साल पहले जिस प्रक्रिया से सौर मंडल बना था, ये उसी के मलबे माने जाते हैं।