Iran Preparing for a Major Attack on Israel!: इजराइल के ईरान में घुसकर अपने सबसे कट्टर दुश्मन हमास (Hamas) के शीर्ष नेता इस्माइल हानिया को मौत के घाट उतारने से समूचे पश्चिम एशिया में तनाव उत्पन्न हो गया है।
हानिया की मौत से ईरान (iran) तमतमाया हुआ है। वह इजराइल पर बड़े हमले की तैयारी में है। इस घटनाक्रम से अमेरिका चौकन्ना हो गया है।
पेंटागन ने पश्चिम एशिया में मौजूद अपने युद्धपोत यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट की जगह लेने के लिए अपने युद्धपोत यूएसएस अब्राहम लिंकन को भेजा है। इस युद्धपोत के साथ ही लड़ाकू विमानों से सुसज्जित स्ट्राइक ग्रुप को भी पश्चिम एशिया में भेजा है।
अमेरिका ने यह कदम ऐसे वक्त बढ़ाया है, जब Iran ने इजराइल पर हमले की धमकी दी है। अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन की उप सचिव सबरीना सिंह ने बयान में कहा है, ”रक्षा विभाग लगातार ऐसे कदम उठाता रहेगा, जिससे ईरान और उसके सहयोगियों के क्षेत्रीय तनाव बढ़ाने की संभावना को कम किया जा सके।”
उन्होंने कहा, ”7 अक्टूबर के हमास के हमले के बाद से रक्षा सचिव ने बार-बार कहा है कि अमेरिका पश्चिम एशिया में अपने हितों की सुरक्षा करेगा और साथ ही Israel की सुरक्षा का अपना पक्का वादा भी निभाएगा।”
इस बीच, अमेरिका के रक्षा सचिव lloyd Austin ने बैलिस्टिक मिसाइल से लैस क्रूजर और विध्वंसक जहाज भी यूरोपीय कमांड के अंतर्गत पश्चिम एशिया में भेजने का आदेश दिया है। साथ ही लड़ाकू विमानों के एक स्क्वॉड्रन को रवाना किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों इजराइल के गोलन हाइट्स में हुए Hezbollah Rocket हमले में फुटबॉल खेल रहे 12 इजराइली किशोरों और बच्चों की मौत हो गई थी। इसके जवाब में इजराइल ने बेरूत में हमला कर हिजबुल्ला के कमांडर फुआद शुकर को ढेर कर दिया था। इसके कुछ ही घंटों बाद ईरान में एक इमारत को निशाना बनाकर किए गए हमले में हमास के शीर्ष नेता इस्माइल हानिया की मौत हो गई। हानिया की मौत पर ईरान के आक्रामक रुख से हिजबुल्लाह ने भी इजराइल से बदला लेने की तैयारी शुरू कर दी है।
ईरान ने दोटूक कहा है कि वह अपनी धरती पर इस्माइल हानिया की हत्या का बदला इजराइल से जरूर लेगा। दावा किया जा रहा है कि ईरान सीधा हमला कर सकता है। ईरान को लेबनान में हिजबुल्लाह, सीरिया और इराक के मिलिशिया और यमन में हूती विद्रोहियों से मदद मिल सकती है। इस साल अप्रैल में भी ईरान, इजराइल पर मिसाइल और ड्रोन हमला कर चुका है।
हालांकि इन मिसाइलों को रोकने में इजराइल कामयाब रहा था, क्योंकि उसे अमेरिका के साथ Jordan का भी साथ मिला था। UAE और सऊदी अरब ने इजराइल के खिलाफ उठने वाले ईरान के कदमों भी भनक से अमेरिका को अवगत करा दिया था।
ईरान के इजराइल पर हमला करने की वजह भी थी। दरअसल, इजराइल ने सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमला करके ईरान के शीर्ष कमांडर को मारा था। तब ईरान ने 300 से ज्यादा मिसाइलें और किलर ड्रोन इजराइल के ऊपर दागे थे।