ह्यूस्टन: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा बताया कि 9 साल बाद चांद की स्थिति में परिवर्तन होगा जिसके कारण धरती पर भयानक खतरें के संकेत मिल रहे हैं।
नासा के अध्ययन के अनुसार चांद हमेशा से समुद्री लहरों पर असर डालता है और चांद अपनी कक्षा में जरा सा भी बदलाव करते है तो धरती के कई तटीय इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है।
नासा का यह अध्ययन पिछले महीने नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुई है।
नासा के अनुसार, चांद का खिंचाव और दबाव साल दर साल संतुलन बनाए हुए हैं, लेकिन 18.6 साल में अपनी जगह पर हल्का सा बदलाव करता है।
इस दौरान आधे समय चांद धरती की लहरों को दबाता है, लेकिन आधे समय ये लहरों को तेज कर देता है और उनकी ऊंचाई बढ़ा देता है, जो खतरनाक है।
नासा ने बताया कि चांद के 18.6 साल की सर्कल का आधा हिस्सा शुरू होने वाले है, जो धरती की लहरों को तेज करेगा।
अगले 9 साल में यानी साल 2030 तक वैश्विक समुद्री जलस्तर काफी ज्यादा बढ़ चुका होगा और इसकी वजह से दुनिया के कई देशों में तटीय इलाकों में बाढ़ आ सकती है।
नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के मुताबिक साल 1880 से अब तक समुद्री जलस्तर 8 से 9 इंच तक बढ़ चुका है और इसमें से एक तिहाई यानी करीब 3 इंच बढ़ोतरी पिछले 25 सालों में हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार साल 2100 तक समुद्री जलस्तर 12 इंच से 8।2 फीट तक बढ़ सकता है और यह दुनिया के लिए काफी खतरनाक होगा।
एनओएए की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में हाई टाइड की वजह से अमेरिका में 600 बाढ़ आई थी।
अब नासा की एक नई स्टडी से खुलासा हुआ है कि साल 2030 तक अमेरिका समेत दुनिया भर में कई जगहों पर न्यूसेंस फ्लड की मात्रा बढ़ जाएगी।
इसके साथ ही हाई टाइड के समय आने वाली लहरों की ऊंचाई करीब 3 से 4 गुना ज्यादा हो जाएगी।
बता दें कि हाई टाइड की वजह से आने वाली बाढ़ को न्यूसेंस फ्लड कहते हैं। नासा के अनुसार, हर बार चांद की स्थिति बदलना खतरनाक होगा और तटीय इलाकों पर आने वाले न्यूसेंस फ्लड की संख्या भी बढ़ती जाएगी।
इससे बचने के लिए दुनियाभर की सरकारों को योजनाएं बनानी होंगी और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना होगा।