इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने कहा कि वह ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया की आजादी’ में यकीन रखती है।
एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया निगरानी संगठन की उस रिपोर्ट का उसने जोरदार खंडन किया है जिसमें प्रधानमंत्री इमरान खान को प्रेस की आजादी के मामले में दुनिया के 37 सबसे खराब शासकों की सूची में रखा गया है।
खान की सरकार ने एक रिपोर्ट ‘प्रेस की आजादी के दुश्मन-पुराने तानाशाह, दो महिलाएं और एक यूरोपीय’ पर यह प्रतिक्रिया दी है। इसे पेरिस के ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ ने जारी किया है।
इस समूह के अनुसार, 2018 में संसदीय चुनावों के बाद ‘खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद से घोर सेंसरशिप के मामले असंख्य हैं।’
उसने कहा कि खान के शासन के दौरान अखबारों का वितरण बाधित किया गया, मीडिया संगठनों को धमकियां दी गई और टीवी चैनल के सिग्नल अवरुद्ध किए गए।
मीडिया निगरानी समूह ने कहा, ‘पत्रकारों को धमकाया गया, अगवा और उन्हें प्रताड़ित किया गया।’
पाकिस्तान के सूचना मंत्रालय ने एक बयान में इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि खान की सरकार ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया की आजादी’ में यकीन रखती है।
मंत्रालय ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने यह निष्कर्ष निकाला कि पाकिस्तान में मीडिया खान सरकार के कठोर सेंसरशिप के अधीन है।
उसने कहा कि सरकार ‘पत्रकारों को उनके पेशेवर दायित्वों को पूरा करने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के वास्ते हरसंभव कदम उठा रही है।’
मंत्रालय ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि इस रिपोर्ट को पाकिस्तान के लोगों द्वारा निर्वाचित सरकार की छवि बिगाड़ने की कोशिश के तहत जारी किया गया है।’
उसने कहा कि उसे उम्मीद है कि मीडिया निगरानी समूह भविष्य में ऐसी गैरजिम्मेदाराना पत्रकारिता से परहेज करेगा।