वॉशिंगटन: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने दुनिया में 18 करोड़ 80 लाख लोगों को अपना शिकार बना लिया है। कई देशों में वैक्सीनेशन अभियान चरम पर चल रहा है।
इस बीच अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने वैक्सीन निर्माता फाइजर के साथ बैठक में बूस्टर शॉट को लेकर बड़ी घोषणा की।
अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा के प्रवक्ता विभाग ने कहा है कि जिन अमेरिकियों को पूरी तरह से फाइजर की दोनों डोज लगाई गई हैं, उन्हें बूस्टर शॉट लेने की जरूरत नहीं है।
फाइजर ने पिछले हफ्ते अमेरिकी नियामकों से अपने कोरोना वैक्सीन की बूस्टर खुराक को अधिकृत करने के लिए कहने की योजना बनाई थी।
जो टीकाकरण के छह महीने बाद संक्रमण के अधिक खतरे और अत्यधिक संक्रामक डेल्टा संस्करण के प्रसार को रोकने के साक्ष्य के आधारित है।
हालांकि, अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा के प्रवक्ता ने कहा कि एचएचएस अधिकारियों ने सोमवार को फाइजर से टीकाकरण पर अपने प्रारंभिक आंकड़ों के बारे में एक ब्रीफिंग की।
हम भविष्य में बूस्टर शॉट्स की आवश्यकता कब और क्या होगी, इस पर चर्चा करना जारी रखेंगे।
फाइजर कंपनी की प्रवक्ता शेरोन कैस्टिलो ने कहा, फाइजर और अमेरिकी सरकार दोनों ही वायरस से आगे रहने के लिए तात्कालिक भावना शेयर करते हैं, जो कोरोना संक्रमण का कारण बनता है।
हम यह भी मानते हैं कि वैज्ञानिक डेटा कठोर नियामक प्रक्रिया में अगले कदमों को निर्देशित करेगा जिसका हम हमेशा पालन करते हैं।
इससे पहले फाइज़र के सीईओ अल्बर्ट बोरला ने भारत में अपनी कंपनी के कर्मचारियों के नाम लिखे एक ईमेल में कहा है कि कंपनी भारत सरकार के साथ इस बारे में बातचीत कर रही है, ताकि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन को भारत में इस्तेमाल की मंजूरी देने की प्रक्रिया को तेज किया जा सके।
भारत सरकार ने पिछले महीने ही विदेशों में बनी उन वैक्सीन्स को भारत में इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है, जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप या जापान की तरफ से इमरजेंसी अप्रूवल दिया जा चुका है।
रूस में बनी वैक्सीन स्पुतनिक वी को भी भारत में इमरजेंसी अप्रूवल मिल चुका है और उसकी पहली खेप इंपोर्ट के जरिए भारत पहुंच भी चुकी है।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सबसे पहले फाइजर की वैक्सीन को ही आपात मंजूरी दी थी। ऐसे में इस वैक्सीन को अब तक भारत में इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिलना आश्चर्य की बात है।