कोलंबो: भीषण आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहे श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को देश के आठवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
उन्हें बुधवार को संसद ने नया राष्ट्रपति चुना था। विक्रमसिंघे इससे पहले लंबे समय तक देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
श्रीलंका में भयावह आर्थिक संकट के बीच पहले प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, फिर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा था। जनाक्रोश के जलते गोटबाया को तो देश छोड़कर भागना पड़ा। ऐसे में महिंदा राजपक्षे को हटाकर प्रधानमंत्री बनाए गए रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति का कार्यभार सौंपा गया था।
बुधवार को संसद में मतदान के माध्यम से नए राष्ट्रपति का चुनाव कराया गया। कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (President Ranil Wickremesinghe) के अलावा सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के सदस्य दुल्लास अल्हाप्पेरुमा व वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के अनुरा कुमारा दिसानायके भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे।
225 सदस्यीय श्रीलंका की संसद ने कल विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना था। उन्हें 134 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी दुल्लास अल्हाप्परुमा को 82 वोट मिले।
कुछ दिनों में 20-25 सदस्यों का मंत्रिमंडल बनाएंगे
त्रिकोणीय मुकाबले में अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ तीन वोट मिले थे। देश के संविधान के अनुसार संसद द्वारा चुने जाने वाले वे पहले श्रीलंकाई राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले डीबी विजेतुंगा मई 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रेमदासा के निधन के बाद निर्विरोध निर्वाचित हुए थे।
श्रीलंका के प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या (Judge Jayant Jayasuriya) ने गुरुवार को 73 वर्षीय विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई।
विक्रमसिंघे के सामने सबसे बड़ी चुनौती और अग्नि परीक्षा देश को इस संकट से निकाल कर फिर पटरी पर लाना है।
उनके सामने देश को आर्थिक संकट से निकालने के साथ महीनों के बड़े विरोध के बाद कानून व्यवस्था (Law and order) बहाल करने की चुनौती है। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे अगले कुछ दिनों में 20-25 सदस्यों का मंत्रिमंडल बनाएंगे।