काबुल: अफगानिस्तान में लगभग 20 साल बाद तालिबानियों ने फिर हुकूमत कायम करने की तैयारी कर ली है।
देश में दहशत का माहौल है और लोग अपना घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर हैं।
भारत में रहने वाले अफगानी अफगानिस्तान में रह रहे अपनों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं और प्रधानमंत्री मोदी से मददा की गुहार लगा रहे हैं।
एक अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान दूतावास के बाहर सैकड़ों की संख्या में अफगानी आ जा रहे हैं।
इन्हीं में से एक अफगानिस्तान की फरिश्ता रहमानी अपनी बहन के साथ एक साल से भारत में रह रही हैं। उनकी मां अफगानिस्तान की सेना में थी।
जिसके बाद तालिबान ने उनके पिता की हत्या कर दी थी। पति की मौत का सदमा इतना गहरा है कि उनकी मां अब भी डिप्रेशन में हैं।
पूरा परिवार तालिबन से बचकर भारत आ गया है और यहां शरणार्थी बनकर रह रहा है। वे बेहद परेशान हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे यहां क्या करें।
फरिश्ता यूएन ह्यूमन राइट्स कमीशन से लेकर अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया सहित कई दूतावासों पर जाकर गुजारिश कर चुकी हैं, ईमेल भेज चुकी हैं, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।
फरिश्ता ने कहा कि उनकी बाइडेन और मोदी जी से दरख्वास्त है कि वे उनकी ज़िंदगी की कदर करें और उन्हें बचा लें।
फरिश्ता ने बताया, तालिबान बहुत ही दहशतगर्द है, जिन लोगों ने भी यूएस आर्मी के साथ काम किया था, वे उन्हें ढूंढ-ढूंढ कर मार देंगे।
इसीलिए लोग अपनी जान पर खेलकर अफगानिस्तान से बाहर आना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मुल्क को पाकिस्तान को बेच दिया है। पाकिस्तान आतंकी मुल्क है।
उन्होने भारत सरकार से गुहार लगाई कि हमें बचा लीजिए। फरिश्ता के पास घर का किराया देने तक के पैसे नहीं हैं और उन्हें यहां कोई नौकरी भी नहीं दे रहा है।
वे चाहती हैं कि उन्हें यूएन की तरफ से यूनाइटेड नेशंस हाईकमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज (यूएनएचसीआर) कार्ड मिले ताकि भारत में उन्हें शरणार्थियों का दर्जा मिल सके।