वॉशिंगटन: ब्रह्मांड में कई छुद्र ग्रहों की उपस्थिति को लेकर शोध होते रहते है। पृथ्वी पर मानव सभ्यता के जन्म से पहले कई ऐस्टरॉइड टकरा चुके हैं।
हम जानते हैं कि उन्हीं में से एक चिक्सुलब ऐस्टरॉइड के कारण आज से 6 करोड़ 60 लाख साल पहले धरती से डायनासोर विलुप्त हुए थे।
150 किमी चौड़े इसी ऐस्टरॉइड के कारण मैक्सिको की खाड़ी के पास 10 किमी चौड़ा चिक्सुलब क्रेटर बना था।
कई ऐस्टरॉइड ऐसे भी थे जिनके कारण पृथ्वी की सतह और वायुमंडल को उनका आज वाला स्वरूप मिला था।
हमारे ग्रह यानी पृथ्वी पर ऐस्टरॉइड के टकराने की कितनी घटनाएं हुई हैं, इसके लेकर अनुमान लगाना मुश्किल हैं। लेकिन अब पता चला है कि विशाल ऐस्टरॉइड के धरती से टकराने की संभावना पहले की सोच से लगभग 10 गुना ज्यादा है।
साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के मुताबिक इसका मतलब है कि एक निश्चित समय के बाद धरती से चिक्सुलब के बराबर कोई बड़ा ऐस्टरॉइड के टकराने की संभावना अब 10 गुना ज्यादा बढ़ गई है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि अगर धरती पर फिर से कोई बड़ा ऐस्टरॉइड टकराता है तो इससे न केवल भारी तबाही होगी, बल्कि वातावरण में ऑक्सिजन की मात्रा भी घट जाएगी। ऐसे में मानव जीवन के अस्तित्व पर खतरा बढ़ सकता है।
हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले 100 साल में धरती को किसी बड़े ऐस्टरॉइड से कोई खतरा नहीं है।
पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होने के साथ ही आसमानी चट्टानें या ऐस्टरॉइड टूटकर जल जाती हैं और कभी-कभी उल्कापिंड की शक्ल में धरती से दिखाई देती हैं।
ज्यादा बड़ा आकार होने पर यह धरती को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन छोटे टुकड़ों से ज्यादा खतरा नहीं होता।
वहीं, आमतौर पर ये सागरों में गिरते हैं क्योंकि धरती का ज्यादातर हिस्से पर पानी ही मौजूद है।
अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। नासा का सेट्री सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है।