Warning for Chandrayaan-3 : भारत ने चंद्रयान-3 के मिशन (Mission of Chandrayaan-3) को सफल कर के इतिहास रच दिया है।
ISRO ने इस मिशन को काफी कम खर्च में सफल कर दिखाया है। बता दें कि बुधवार को चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की।
ऐसा करते ही चांद की सतह पर कदम रखने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है।
ISRO चीफ की चेतावनी
ISRO के प्रमुख S Somnath ने गुरुवार को बताया है कि चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान दोनों अच्छी तरह से काम कर रहे हैं और आगे भी हलचल होती रहेगी। हालांकि, उन्होंने इस मून मिशन में आने वाली आगे की चुनौतियों को लेकर भी अगाह किया है।
इसरो चीफ ने कहा, “चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान (Lander Vikram and Rover Pragyan of Chandrayaan-3) दोनों पूरी तरह से ठीक हैं और सब कुछ बहुत अच्छे से काम कर रहा है।
आगे भी कई तरह की मूवमेंट होंगी। चूंकि, चांद पर वायुमंडल मौजूद नहीं है। ऐसे में कोई भी वस्तु चंद्रयान-3 को हिट कर सकती है।
यानी टक्कर मार सकती है। इसके अलावा थर्मल प्रॉब्लम और कम्यूनिकेशन ब्लैकआउट (Thermal problem and communication blackout) की समस्या भी आ सकती है।”
क्यों नष्ट हो सकता है लैंडर और रोवर
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने आगे कहा, “यदि कोई क्षुद्रग्रह या अन्य कोई अन्य वस्तु बहुत तेज गति से चंद्रयान-3 से टकराती है तो लैंडर और रोवर दोनों नष्ट हो जाएंगे। चंद्रमा की सतह को गौर से देखें तो सतह अंतरिक्ष पिंडों की निशानों से भड़ा पड़ा है।
पृथ्वी पर भी हर घंटे लाखों अंतरिक्ष पिंड आते हैं, लेकिन हमें पता नहीं चलता। क्योंकि पृथ्वी पर वायुमंडल है और हमारा वायुमंडल उन सभी पिंडों को जला देता है।”
चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने भारतीय समयानुसार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। ISRO के अनुसार, लैंडर से रोवर प्रज्ञान नीचे उतर गया है और चंद्रमा की सतह पर चक्कर लग रहा है।
चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग
चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग पर इसरो चीफ ने कहा, “यह सिर्फ इसरो के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है। हर दूसरे भारतीय की तरह हमें भी इस बात पर गर्व है कि इस बार हमारी लैंडिंग सफल रही।
हमने इतने सालों तक जो मेहनत की थी, यह उसका परिणाम है। आगे हम और अधिक चुनौतीपूर्ण मिशन करने के लिए तत्पर हैं।
ISRO में हम कहते हैं कि अच्छे परिणाम का फल और अधिक मेहनत है। मुझे लगता है यही बात हममें से हर किसी को उत्साहित करेगी।”
भारत का पहला सौर मिशन
चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग (Successful soft landing of Chandrayaan-3) के बाद इसरो 2 सितंबर 2023 को अपना पहला सौर मिशन लॉन्च करेगा। इसरो के इस मिशन का नाम Aditya-L1 है। इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन (Satish dhawan) स्पेश सेंटर से होगी।
इसरो के स्पेश एप्लीकेशन सेंटर के Director Nilesh M। देसाई के अनुसार, Aditya L-1 को PSLV रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।
Aditya-L1 पंद्रह लाख किलोमीटर की दूरी 127 दिन में पूरी करेगा। इसे सूरज और धरती के बीच मौजूद प्वाइंट हैलो ऑर्बिट (Point Hello Orbit) में तैनात किया। इसी जगह से यह सूरज का अध्ययन करेगा।
अब तक 22 सौर मिशन हो चुके है
सूरज पर अब तक अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (America, Germany, European Space Agency) ने कुल 22 मिशन भेजे हैं। इसमें से एक मिशन फेल हुआ है, जबकि एक ने आंशिक सफलता हासिल की।
22 मिशन में सबसे ज्यादा मिशन NASA ने भेजे हैं। नासा ने पहला सूर्य मिशन पायोनियर-5 (Surya Mission Pioneer-5) साल 1960 में भेजा था।
जर्मनी ने अपना पहला सूर्य मिशन 1974 में नासा के सहयोग से भेजा था। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (European Space Agency) ने अपना पहला मिशन नासा के साथ मिलकर 1994 में भेजा था।