बेंगलुरु: अंतरिक्ष क्षेत्र में सक्रिय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने 50 वर्षीय इतिहास में पहली बार अपने सैटेलाइट सेंटर को निजी कंपनियों के परीक्षण के लिए खोला है।
ऐसा पहली बार होगा जब प्राइवेट कंपनी या कॉलेज के लोग बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में अपनी सैटेलाइट की जांच करेंगे।
इसरो ने फिलहाल सिर्फ दो सैटेलाइट के लिए अनुमति दी है। इनमें से एक निजी कंपनी की है, दूसरी स्टूडेंट्स की।
ठीक इसी तरह अगले कुछ महीनों में दो प्राइवेट कंपनियां श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस पोर्ट और तिरुवनंतपुरम स्थित रॉकेट सेंटर पर अपने इंजनों की जांच करेंगे।
इसरो अपने सैटेलाइट इमेजेस इस प्राइवेट कंपनी को देगा जो मैपिंग सर्विस के लिए काम करती है।
इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने कहा है कि हमारी सुविधाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा निजी कंपनियां उठाएंगी।
इसरो निजी कंपनियों के साथ काम करने के लिए तैयार है। लेकिन हम चाहते हैं कि ये कंपनियां टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन के साथ आगे आएं।
इससे देश का नाम वैश्विक स्तर पर ऊपर उठेगा। हम दुनिया में स्पेस एक्टिविटी का केंद्र बनना चाहते हैं।
इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने कहा है कि हमारी सुविधाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा निजी कंपनियां उठाएंगी।
इसरो निजी कंपनियों के साथ काम करने के लिए तैयार है।
लेकिन हम चाहते हैं कि ये कंपनियां टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन के साथ आगे आएं। इससे देश का नाम वैश्विक स्तर पर ऊपर उठेगा। हम दुनिया में स्पेस एक्टीविटी का केंद्र बनना चाहते हैं।
सिवन ने बताया कि यूआरएससी ने यूनिटीसैट की भी जांच की थी। उसके सेपरेशन सिस्टम में दिक्कत थी।
हमारे साइंटिस्ट्स ने उसकी ये दिक्कत भी ठीक की थी।
यूनिटीसैट को श्रीपेरुमबुदूर स्थित जेप्पियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नागपुर के जीएच रायसोनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग औक कोयंबटूर के श्री शक्ति इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स ने बनाया है।
चेन्नई स्थित अग्निकुल कॉसमॉस को तिरुवनंतपुरम स्थित रॉकेट सेंटर पर और हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस को श्रीहरिकोटा स्थित स्पेसपोर्ट पर अपने इंजनों की जांच करने की अनुमति दी गई है।
इसके अलावा मैप माई इंडिया जो कि डिजिटल मैप बनाती है और जीआईएस सर्विस देती है वह भी इसरो से संपर्क में है।
मैप माई इंडिया इसरो से हाई रिजोल्यूशन इमेजेस मांग रही है।
सिवन ने बताया कि ऐसे 26 प्रपोजल इसरो के पास पड़े हैं जिनकी वो लोग जांच कर रहे हैं।
इन प्रपोजल्स में अमेरिका स्थित अमेजन वेब सर्विसेज और भारती ग्रुप के सपोर्ट से चलने वाली यूके स्थित वन वेब के प्रस्ताव भी आए हैं। उनकी जांच इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर कर रहा है