नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV Mark-III) का नाम बदलकर प्रक्षेपण यान मार्क (LVM-3) कर दिया है, जो मुख्य रूप से उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में स्थापित करने के उसके कार्य की पहचान के लिए है।
पसंदीदा यान के रूप में भी उभर रहा
LVM-3 Rocket का उपयोग भारत की पहली Manned Space Flight (मानव अंतरिक्ष उड़ान) के लिए भी किया जाएगा, जो 2024 के अंत में संभावित रूप से निर्धारित है और रविवार को वनवेब के 36 उपग्रहों के कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित होने के बाद ISRO के वाणिज्यिक प्रक्षेपणों के लिए एक पसंदीदा यान के रूप में भी उभर रहा है।
ISRO के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इससे पहले, प्रक्षेपण यान को एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए नामित किया जाता था, जैसे कि PSLV ध्रुवीय उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए या GSLV भूस्थिर उपग्रहों के लिए।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘Rocket अब केवल जियोसिंक्रोनस कक्षा में नहीं जाता है। एक Rocket कहीं भी जा सकता है, कहीं भी- GEO (जियोसिंक्रोनस अर्थ ऑर्बिट) MEO (पृथ्वी की मध्यम कक्षा), LEO (पृथ्वी की निम्न कक्षा) जाने के लिए उसकी कोई निश्चित कक्षा नहीं है।’’
Rocket का नाम बदलने का निर्णय प्रक्षेपण के लिए चिह्नित कक्षाओं के प्रकार के बारे में भ्रम को दूर करना था। अधिकारी ने कहा, ‘‘GEO कक्षा के लिए GSLV ही कहा जाता रहेगा, लेकिन GSLV -मार्क तीन का नाम बदलकर एलवीएम-तीन कर दिया गया है।LVM-3 हर जगह – GEO MEO ,LEO , चंद्रमा, सूर्य के मिशन कि लिए जाएगा।’’
अगले साल भी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए किया जाएगा इस्तेमाल
GSLV Mark-III या LVM-3 का इस्तेमाल 2019 में Chandrayan-2Mission को चंद्रमा पर लॉन्च करने के लिए किया गया था, जो रॉकेट की पहली परिचालन उड़ान थी।
LVM-3 का इस्तेमाल रविवार को वनवेब के उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए किया गया और अगले साल भी इसी तरह के मिशन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।