चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 100 अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) अपनाए जाएंगे और इसके पहले चरण में 45 लैब्स अपनाए जा चुके हैं।
इसरो के मुताबिक, अंतरिक्ष विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस), अटल इनोवेशन मिशन और नीति आयोग द्वारा सोमवार को आयोजित एक ऑनलाइन इवेंट में इस फैसले की घोषणा की गई।
इसरो ने कहा कि बाकी के बचे 55 अटल टिंकरिंग लैब भी इसरो द्वारा जल्द ही अपना लिए जाएंगे।
इसका मकसद स्कूली विद्यार्थियों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम), अंतरिक्ष शिक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से संबंधित नवप्रवर्तनों के क्षेत्र में शिक्षण-प्रशिक्षण को बढ़ावा देना है।
एटीएल में बच्चों को एक्टिविटीज के आधार पर प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि समाज में निहित समस्याओं के प्रति इनमें बेहतर विचार पैदा हो और साथ इसके माध्यम से नवप्रवर्तन और उद्यमिता को भी बढ़ावा मिल सके।
एटीएल में छह से बारह तक की कक्षा में पढ़ने वाले तीस लाख से अधिक विद्यार्थियों को समस्या का समाधान करने, चीजों या स्थिति को व्यवस्थित करने और नई मानसिकता को अपनाने में उनकी मदद की जाएगी।
इसरो ने कहा कि सोमवार को आयोजित इस समारोह में वीडियो मैसेज के माध्यम से नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, डिपार्टमेंट ऑफ साइंस के सचिव के. सिवन, अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) के मिशन निदेशक रामनन, इसरो में कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम ऑफिस के निदेशक पी.वी. वेंकिटाकृष्णन और नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार की सहभागिता देखी गई।
सिवन ने यह उम्मीद जाहिर की है कि इस कदम से नवप्रवर्तन और स्कूली बच्चों में प्रयोगात्मक शिक्षण की भावना को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के एक हिस्से के रूप में बच्चे अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित अपने सपनों को साकार कर पाए, इस दिशा में उन्हें प्रशिक्षित कर इसरो एक छोटा सा कदम उठा रहा है।
इसरो चीफ सिवन ने यह भी कहा कि अटल टिकरिंग लैब के स्टूडेंट्स को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक रॉकेट की लॉन्चिंग को देखने के लिए मैं उन्हें आमंत्रित करता हूं।