नई दिल्ली: देश में इस साल दलहनी फसलों का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा होने के बावजूद केंद्र सरकार के बफर स्टॉक में सिर्फ 11 लाख टन दलहन है।
तुअर समेत प्रमुख दलहनों का भाव एमएसपी से ऊपर होने के चलते सरकारी एजेंसियां खरीफ सीजन में दलहनों की पर्याप्त खरीद नहीं कर पाई है।
ऐसे में आगे दालों की महंगाई पर लगाम लगाना मुश्किल हो सकता है।
जानकार बताते हैं कि बफर स्टॉक के लिए भी सरकार को विदेशों से दाल आयात करना पड़ सकता है।
नैफेड के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्ढा ने आईएएनएस को बताया कि भारत सरकार की नोडल खरीद एजेंसी नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नैफेड) के पास इस समय सिर्फ 11 लाख टन दलहनों का स्टॉक है, जिसमें तुअर करीब चार लाख टन, चना करीब तीन लाख टन और बाकी मसूर, मूंग और उड़द हैं।
उन्होंने बताया कि बफर स्टॉक में कम से कम 18 से 20 लाख टन दाल (अप्रसंस्कृत) होनी चाहिए, मगर बफर स्टॉक में आधे से भी कम दाल उपलब्ध हैं।
तुअर, उड़द और मूंग की कीमतें चालू फसल वर्ष 2020-21 (जून-जुलाई) के दौरान इनके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर होने के कारण सरकारी खरीद बहुत कम हो पाई।
उन्होंने कहा, एमएसपी से ऊपर भाव होने के कारण हम इस समय दलहनों की खरीद नहीं कर पाए हैं, लेकिन रबी सीजन में चने की खरीद होने की उम्मीद है।
दलहन बाजार विशेषज्ञ बताते हैं कि बफर स्टॉक कम होने से कीमतों को काबू करना मुश्किल होगा। ऐसे में सरकार को बफर स्टॉक के लिए दलहनों का आयात करना पड़ सकता है।
इंडिया पल्सेस एंड ग्रेंस एसोसिएशन (आईपीजीए) के चेयरमैन जीतू भेड़ा ने कहा कि देश में उड़द की उपलब्धता बनाए रखने के लिए चार लाख टन उड़द मंगाने का कोटा जारी कर दिया है और संभव है कि तुअर और मूंग आयात के लिए भी कोटा जारी हो, क्योंकि इन दोनों की भी उपलब्धता कम है।
केंद्र सरकार द्वारा जारी दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2020-21 में दलहनों का उत्पादन 244.2 लाख टन है, जो पिछले साल से छह फीसदी ज्यादा है।
सरकार के अनुमान के अनुसार, तुअर का उत्पादन 38.8 लाख टन है, लेकिन आईपीजीए के चेयरमैन बताते हैं कि व्यापारिक अनुमान के अनुसार तुअर का उत्पादन 32-34 लाख टन से ज्यादा नहीं है।
दलहन बाजार विशेषज्ञ अमित शुक्ला ने बताया कि बफर स्टॉक कम होने से दालों के दाम में कृत्रिम तेजी को काबू करना मुश्किल होगा।
हालांकि नैफेड के प्रबंध निदेशक संजीव चड्ढा भी मानते हैं कि बफर स्टॉक की किल्लत के कारण इसकी चिंता रहती है, लेकिन देश में इस साल दालों का उत्पादन ज्यादा है, इसलिए उपलब्धता तो बनी रहेगी, इसलिए बहुत चिंता की बात नहीं है।
दलहनों का आयात करके बफर स्टॉक बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह निर्णय सरकार लेगी।
चड्ढा ने कहा, अगर सरकार नैफेड को दलहन आयात करने का निर्देश देगी तो हम मंगाएंगे या फिर एमएमटीसी के माध्यम से भी आयात किया जा सकता है।
देश की प्रमुख मंडियों में इस समय तुअर का थोक भाव 6,600-6,800 रुपये प्रतिक्विंटल चल रहा है, जबकि इसका एमएसपी 6,000 रुपये प्रतिक्विंटल है।
वहीं, मूंग का बाजार भाव 7,000-7,200 रुपये प्रतिक्विंटल है, जबकि एमएसपी 7,196 रुपये प्रतिक्विंटल, उड़द का भाव 7,500-8,000 रुपये प्रतिक्विंटल जबकि एमएसपी 6,000 रुपये प्रतिक्विंटल है।
देश के प्रमुख चना उत्पादक राज्यों की मंडियों में चने की नई फसल की आवक शुरू हो गई है। चने का भाव इस समय 4,500 रुपये से 4,700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
चने का एमएसपी 5,100 रुपये प्रतिक्विंटल है। इस तरह चने की सरकारी खरीद होने की अभी संभावना है।
जानकारी के अनुसार, चने की खरीद जल्द शुरू होने वाली है।
संजीव चड्ढा ने बताया कि इस साल रबी सीजन में 25 से 26 लाख टन चने की खरीद की उम्मीद की जा रही है, लेकिन आगे अगर भाव एमएसपी से ऊपर रहा तो खरीद कम हो सकती है।