बीजिंग: अमेरिका के नए विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिनकेन ने हाल ही में बताया कि अमेरिकी सरकार नार्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन के निर्माण को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस रुख को लेकर यूरोपीय देश काफी नाखुश हैं। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि कल से यूरोप और अमेरिका के संबंध सामंजस्यपूर्ण होंगे ।
रूस के साथ चल रही नार्ड स्ट्रीम-2 प्राकृतिक गैस पाइपाइन परियोजना यूरोप की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बड़ा महत्व रखती है, लेकिन अमेरिका रूस को नियंत्रित करने और अपनी गैस बेचने के लिए इस परियोजना को बर्बाद करने की पूरी कोशिश करता है।
नार्ड स्ट्रीम-2 सवाल को छोड़कर हाल ही में अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर ने यूरोपीय देशों को कोविड-19 के टीके सौंपने से मना किया, जिससे अनेक यूरोपीय देशों को बड़ा गुस्सा आया।
कहा गया है कि फाइजर कंपनी घरेलू टीकाकरण को प्राथमिकता दे रही है, इसलिए वह पहले की बात से मुकर गयी।
विश्लेषकों के विचार में महज अमेरिकी नेता के बदलाव से अमेरिका यूरोप संबंधों में बड़ा सुधार नहीं आएगा।
एक तरफ दोनों के बीच मौजूद कई पुराने सवाल का अंत होना कठिन है, जैसे उड्डयन कंपनियों के भत्ते, नंबर टैक्स ,नार्ड स्ट्रीम-2, इत्यादि। दूसरा, अमेरिका का रणनीतिक फोकस एशिया और प्रशांत की ओर परिवर्तित हो चुका है।
इसके अलावा दोनों के संबंधों के सुधार की जन-इच्छा में बदलाव भी आया है।
यूरोपीय संघ की वैदेशिक समिति द्वारा हाल ही में जारी एक सर्वे से पता चला है कि अधिकांश यूरोपीय देशों के आम लोगों की नजर में अमेरिका विश्वसनीय नहीं है।
कई विश्लेषकों का कहना है कि वाशिंगटन अमेरिका के नेतृत्व वाला संयुक्त मोर्चा स्थापित करना चाहता है, जबकि यूरोपीय संघ अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता का विस्तार करना चाहता है। यही अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच मौजूद मूल अंतर्विरोध है ।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)