रांची: झारखंड के गिरिडीह जिले के सम्मेद शिखर (Parasnath) को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के बाद देशभर में जैन समुदाय की ओर से प्रदर्शन और आंदोलन किए जा रहे हैं।
राज्य के कई हिस्से में भी आंदोलन किए गए हैं। इसी क्रम में मंगलवार को रांची के जैन समुदाय के सैकड़ों लोगों ने मौन जुलूस (Silent March) निकाला। इसके बाद जैन समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जाकर राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन सौंपा।
इस प्रतिनिधिमंडल में झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन (Jharkhand Provincial Marwari Conference) के प्रांतीय अध्यक्ष बसंत कुमार मित्तल, पदम् चंद जैन, संपत रामपुरिया, सुभाष जैन और प्रदीप बाटलीवाल थे।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा …
ज्ञापन सौंप कर निकले प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि हमने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि सम्मेद शिखर क्षेत्र को पर्यटन स्थल की जगह पवित्र तीर्थक्षेत्र घोषित करने का परामर्श संबंधित सरकार को दें।
उन्होंने कहा कि हमने अपने अनुरोध के माध्यम से राज्यपाल को अवगत कराया है कि सम्मेद शिखर जी (पारसनाथ) जैन धर्मावलंबियों का सबसे पवित्र पावन तीर्थक्षेत्र है।
इस पर्वत से जैन धर्म के 24 में 20 तीर्थकरों एवं अगणित मुनिराजों ने आत्मसाधना करते हुए निर्वाण प्राप्त किया है। इस पर्वतराज पर प्रतिवर्ष दुनियाभर से लाखों तीर्थयात्री गहरी आस्था के साथ आते हैं। यहां का कण-कण हमारे लिए पवित्र एवं पूजनीय है।
प्रतिनिधियों ने बताया कि इस क्षेत्र को झारखंड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (Union Ministry of Forest and Environment) द्वारा अधिसूचना जारी कर इको सेंसिटिव जोन घोषित कर दिया।
राज्य सरकार ने इसी अधिसूचना को आधार मानते हुए इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित कर दिया जो अहिंसामयी सिद्ध क्षेत्र की गरिमा के प्रतिकूल है।
मौन जुलूस में पुरुषों के साथ महिलाएं भी शामिल
इस अधिसूचना के जारी होने से दुनियाभर के जैन समाज (Jain society) की भावना बुरी तरह आहत हुई है। पर्यटन क्षेत्र होने से पर्वत की पवित्रता प्रभावित हुई है।
पर्यटक पर्वत पर मांस मदिरा का सेवन करने लगे हैं। शराब आदि का प्रयोग धड़ल्ले से होने लगा है जो जैन धर्म के सिद्धांतों के पूर्णतः खिलाफ है। इससे हमारी धार्मिक भावना को ठेस पहुंची हैं।
दिगंबर और श्वेतांबर समुदाय के लोगों ने संयुक्त रूप से मौन जुलूस जैन मंदिर से राजभवन तक निकाला। इस मौन जुलूस में पुरुषों के साथ महिलाएं भी शामिल हुईं।
सभी ने एक साथ पर्यटन स्थल की जगह पवित्र स्थल (Holy Place) घोषित करने की मांग की। मौन जुलूस के दौरान पुरुष जहां श्वेत वस्त्र पहले हुए थे, वहीं महिलाएं केसरिया साड़ी में थीं। सभी हाथों में तख्तियां लेकर चल रहे थे।