न्यूयॉर्क: आतंकवाद को समर्थन देने और आतंकवादियों को पनाह देने के लिए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान और चीन पर निशाना साधा है।
उन्होंने आतंकवाद जैसे वैश्विक संकट से निपटने के लिए आठ सूत्रीय योजना लॉन्च की है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंत्रिस्तरीय बैठक में मंगलवार को अपने भाषण से पहले, ट्यूनीशिया के विदेश मंत्री ओथमैन जेरांडी ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए एक सर्वसम्मति बयान जारी किया जिसमें सभी राष्ट्रों के दायित्व को आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने और दबाने के लिए और आतंवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई को मजबूत करने की आवश्यकता की पुष्टि की गई।
बैठक का आयोजन ट्यूनीशिया ने किया था।
उन्होंने वीडियो लिंक के जरिए बोलते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सामूहिक रूप से उन देशों को जिम्मेदार ठहराना चाहिए और उन पर लगाम कसनी चाहिए जो आतंकवाद का समर्थन और आतंकवादियों को वित्तीय मदद, सुरक्षित पनाह देने के दोषी हैं।
जयशंकर ने पाकिस्तान या चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने अपनी बातों के संदर्भ में स्पष्ट रूप से इन देशों पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, हमने भारत में 1993 के मुंबई बम धमाकों के लिए अपराध सिंडिकेट को न केवल संरक्षण मिलते देखा बल्कि 5 स्टार आवभगत का आनंद लेते देखा।
उन्होंने इस संदर्भ में दाऊद इब्राहिम की मेजबानी करने वाले पाकिस्तान की ओर इशारा किया जिसके द्वारा अंजाम दिए गए हमले में 257 लोग मारे गए थे।
अपनी आठ-सूत्री योजना में, उन्होंने पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों द्वारा समर्थित दोहरे मानदंडों की आलोचना की और कहा, आतंकवादी आतंकवादी होते हैं, कोई भी अच्छा और बुरा नहीं होता है।
इस भेद का प्रचार करने वालों का एक एजेंडा होता है। और जो लोग उन्हें कवर करते हैं, वे बस दोषी हैं।
चीन पर उन्होंने कहा कि चीन ने जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को परिषद की प्रतिबंध समिति द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी के रूप में घोषित करने के प्रस्ताव को एक दशक से अवरुद्ध कर रखा है।
वह भारत पर कई आतंकवादी हमलों के पीछे जिम्मेदार है।
चीन के समर्थन के साथ पाकिस्तान ने अल-कायदा और संबद्ध समूहों के प्रतिबंधों की सूची में शामिल होने के लिए चार भारतीयों, अजय मिस्त्री, गोबिंदा पटनायक, अप्पाजी और वेणुमाधव डोंगरा के नाम जारी किए लेकिन अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने पाक के नापाक इरादों पर पानी फेर दिया था।
जयशंकर की आठ सूत्री योजना आतंकवाद से निपटने के लिए सभी देशों द्वारा बिना शर्त प्रतिबद्धता के आह्वान के साथ शुरू होती है।
जयशंकर ने सुझाव दिया कि संयुक्त राष्ट्र को वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के साथ सहयोग बढ़ाते हुए धन-शोधन और आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण तंत्र की कमजोरियों को पहचानना और ठीक करना जारी रखना चाहिए।
उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र और देशों को बहिष्कारवादी सोच के खिलाफ काम करना चाहिए जो दुनिया को विभाजित करता है और हमारे सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाता है जो सांप्रदायिक घृणा को बढ़ावा देता है और कट्टरता की ओर ले जाता है।