नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत का विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को ब्यौरा जारी करते हुए कहा कि करीब 75 मिनट दोनों नेताओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति और दोनों देशों के समग्र संबंधों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।
इस दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति का बिगड़ना दोनों देशों के संबंधों को नुकसान पहुंचाएगा।
विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष के साथ मास्को में हुई वार्ता को याद करते हुए कहा कि दोनों देशों के रिश्ते पिछले एक वर्ष के दौरान गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सीमा मसले का समाधान करने में समय लगेगा लेकिन सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति बेहद जरूरी है। इसके अभाव में दोनों देशों के संबंध बुरी तरह प्रभावित होंगे।
विदेश मंत्री ने उल्लेख किया कि वांग यी के साथ उनकी वार्ता के बाद से दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से तब से निरंतर संवाद बनाए रखा है।
इसके चलते दोनों पक्ष इस महीने की शुरुआत में पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में सफलतापूर्वक अग्रिम सैन्य तैनाती हटा पाए।
विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों को अब पूर्वी लद्दाख में एलएसी से जुड़े शेष मुद्दों का जल्द समाधान करना चाहिए।
दूसरी ओर वांग यी ने अपनी ओर से अब तक हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। यह सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सामान्य स्थिति की बहाली के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
उन्होंने महसूस किया कि दोनों पक्षों को वार्ता के परिणामों को मजबूत करने के प्रयास करने चाहिए। विभिन्न स्तरों पर आम समझ को ईमानदारी से लागू करना भी आवश्यक है।
उन्होंने संबंधों से जुड़ी दूरदृष्टि को अपनाने के महत्व पर भी सहमति व्यक्त की। दोनों मंत्री संपर्क में रहने और हॉटलाइन स्थापित करने पर भी सहमत हुए।
विदेश मंत्री जयशंकर ने गुरुवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से टेलीफोन पर वार्ता कर पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया की समीक्षा की थी।
इस पर ट्वीट कर जयशंकर ने कहा, “मैंने आज दोपहर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत की। हमने मॉस्को समझौते को लागू करने तथा सैनिकों को पीछे हटाने की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की।”
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनातनी की स्थिति के दौरान विदेश मंत्री ने मॉस्को में वांग यी से वार्ता की थी तथा दोनों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने पर सहमति बनी थी।
दोनों देशों के बीच सैनिक और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की लंबी प्रक्रिया चली थी।
सैन्य अधिकारियों की दसवीं बैठक में सैनिकों को पीछे हटाने के फैसले के संबंध में स्थिति की समीक्षा की गई थी।