जम्मू: मंगलवार शाम को हैदरपोरा में एक मुठभेड़ में दो आतंकवादियों और उनके दो मददगारों को मार गिराये जाने के बाद इसकी मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिए गए हैं। एडीएम स्तर का अधिकारी जल्द ही यह जांच प्रक्रिया शुरू करेगा।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने लोगों को विश्वास दिलाया है कि सरकार नागरिकों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है किसी निर्दाेष की हत्या बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उपराज्यपाल ने पूरे घटनाक्रम की सच्चाई सामने लाने के लिए मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिए हैं।
अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी देते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच अतिरिक्त जिला आयुक्त रैंक के अधिकारी को सौंपी गई है। रिपोर्ट आने पर सरकार उचित कार्रवाई करेगी।
ज्ञातव्य है कि मंगलवार शाम को सुरक्षाबलों ने श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित हैदरपोरा में एक मुठभेड़ में दो आतंकवादियों तथा उनके दो मददगारों को मार गिराया था। पुलिस जिन लोगों को मददगार बता रही है, उसका मृतकों के परिजनों ने विरोध करते हुए मामले की जांच की मांग की थी।
जिस मकान में आतंकी छिपे हुए थे, उस मकान के मालिक अल्ताफ और किरायेदार डॉ मुदस्सर गुल के परिजन मुठभेड़ के बाद से ही प्रेस एन्क्लेव श्रीनगर के बाहर धरने पर बैठे हैं।
अल्ताफ के परिजनों का कहना है कि वह सीमेंट व्यापारी थे न कि आतंकी। डॉ मुदस्सर के परिजनों का कहना है कि उनका बेटा किसी आतंकी संगठन से नहीं जुड़ा था, वह डेंटल सर्जन था।
उधर, कश्मीर के आईजी विजय कुमार के अनुसार हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए दो आतंकवादियों में एक पाकिस्तानी जबकि दूसरा बनिहाल का रहने वाला आतंकी मोहम्मद आमिर था।
मुठभेड़ में मारे गए दो अन्य मोहम्मद अल्ताफ भट और मुदस्सर गुल आतंकियों के मददगार थे। उन्होंने ही आतंकियों को अपने घर में पनाह दी थी।
मुदस्सर ने अल्ताफ के स्वामित्व वाली इमारत की ऊपरी मंजिल में तीन कमरे किराए पर ले रखे थे, जहां वह कॉल सेंटर चलाता था। इसके माध्यम से ही आतंकी दूसरे देशों में बैठे अपने आकाओं से संपर्क किया करते थे।
पुलिस ने मुठभेड़ के बाद वहां से हथियार, मोबाइल, लैपटाप तथा कंप्यूटर भी बरामद किए हैं। पाकिस्तान सहित अन्य देशों में इंटरनेट के जरिए संपर्क करने के सबूत भी मिले हैं। इन सबूतों की जांच के लिए डीआईजी के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया है।