जमशेदपुर : झारखंड में आदिवासी समुदाय (Tribal Community) की ओर से यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) यानी समान नागरिक संहिता (UCC) के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गई है।
इस संदर्भ में आदिवासी संस्कृति एवं संवैधानिक अधिकार रक्षा समिति का स्पष्ट कहना है कि अगर Uniform Civil Code देश में लागू हुआ तो देश की सभी जनजातियों का प्रथागत कानून समाप्त हो जाएगा।
यही नहीं, जमीन संरक्षण संबंधी कानून (Land Conservation Law) CNT, SPT, विलकिंसन रूल, पेसा अधिनियम, पांचवीं व छठी अनुसूची, समता जजमेंट आदि के तहत मिले विशेषाधिकार खत्म हो जाएंगे।
इससे आदिवासियों के रीति-रिवाज कमजोर होंगे, जिन्हें कानून का संरक्षण (Protection of Law) प्राप्त है। इसलिए कोल्हान प्रमंडल के आदिवासी UCC का पुरजोर विरोध करते हैं।
विरोध में पास किया गया प्रस्ताव
विरोध के प्रस्ताव रविवार को समिति की ओर से XLRI के टाटा ऑडिटोरियम (Tata Auditorium) में आयोजित विचार गोष्ठी में पारित किया गया। इसे। देश परगना बैजू मुर्मू के हस्ताक्षर से राष्ट्रीय विधि आयोग के सदस्य सचिव को भेजा जा रहा है।
इसमें कहा गया कि आदिवासियों को होने वाले सामाजिक व आर्थिक नुकसान को देखते हुए इसे लागू न किया जाए। विचार गोष्ठी में यह भी तय हुआ कि सभी माझी, परगना, मानकी, मुंडा, डोकलो सोहोर, पाहड़ा, भूमिज समाज के अगुवा, अपने-अपने स्तर पर ग्रामसभा कर विधि आयोग को विरोध पत्र भेजेंगे। UCC के विरोध में धरना-प्रदर्शन रैली (Picket Rally) करने के साथ-साथ कोर्ट में भी अपील की जाएगी।
गोष्ठी में बड़ी संख्या में आदिवासी स्वशासन व्यवस्था (Tribal Self Government System) के प्रतिनिधि शामिल हुए।