Saraswati Puja Date: विद्या की देवी मां सरस्वती और वेलेंटाइन डे (Valentine’s Day) इस बार 14 फरवरी को एक साथ मनाया जायेगा। 57 सालों में तीसरी बार ऐसा अनूठा संयोग मिल रहा है जब मां वीणा वादिनी की आराधना के साथ Valentine’s Day एक ही दिन पड़ रहा है।
मां सरस्वती (Saraswati) की पूजा की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। गली-मोहल्लों में चंदा काटते बच्चों की टोली का उत्साह देखते ही बन रहा। सहयोग राशि के लिए घर-घर चंदे का रशीद पहुंच रहा है। शिल्पकारों के यहां बड़ी-छोटी मां की प्रतिमा को आकार देने में जुटे हुए हैं।
इससे पहले 1967 और 2013 में 14 फरवरी को बसंत पंचमी
पंडित रामदेव पाण्डेय ने इस संबंध में बताया कि इससे पहले 1967 और 2013 में 14 फरवरी को ही बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त मिला था। तीसरी बार 2024 में ऐसा शुभयोग बना है। उन्होंने बताया कि वैसे तो पंचमी तिथि 13 फरवरी को दिन के 02:41 मिनट से प्रारंभ हो जायेगी, जो दूसरे दिन बुधवार को दोपहर 12:09 मिनट तक रहेगी।
अत: उदया तिथि के अनुसार, 14 फरवरी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाना शास्त्र सम्मत होगा। उन्होंने बताया कि उदया तिथि मिलने से दिनभर पूजन किया जा सकता है लेकिन सुबह सात बजे से दोपहर 12:35 मिनट तक अमृत सिद्धि योग है। अत: इस बीच माता सरस्वती की पूजा-अर्चना और अराधना करना ज्यादा श्रेष्कर होगा।
बसंत पंचमी पर शुभ कार्य शुरू करने का सुनहरा अवसर
बसंत पंचमी पर शुभ कार्य शुरू करने का सुनहरा अवसर होता है। सनातनी इस दिन गृहप्रवेश, नया व्यवसाय, महत्वपूर्ण परियोजनाएं की शुरूआत तो करते ही हैं, शादी-विवाह की धूम भी रहती है। बच्चों को अक्षर ज्ञान कराने के लिए भी लोग इस दिन का इंतजार करते हैं।
बसंत पंचमी (Basant Panchami) के साथ ही वसंत ऋतु की शुरुआत भी होती है, जो फसलों और कटाई के लिए एक अच्छा समय होता है। कड़ाके की ठंड के बाद इस त्योहार (Festival) को वसंत का पहला दिन, फसल काटने का समय माना जाता है।
बसंत पंचमी मां सरस्वती का प्रकाट्य दिवस है। इस दिन विद्यादायनी मां की विशेष पूजा का विधान है। मां विद्या और बुद्धि की देवी हैं। माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की आराधना से विद्या, बुद्धि, कला और ज्ञान का वरदान सहज मिल जाता है। इसी भाव से शिक्षण संस्थानों के साथ घरों और चौक-चौराहों पर मां की प्रतिमा विराजमान कर नेम-निष्ठा से पूजा-अर्चना की जाती है।
लोग बाग इस दिन पीले रंग (Yellow Color) के कपड़े पहन कर पीले फूलों से मां की पूजन करते हैं।