रांची : झारखंड विधानसभा के 23वें स्थापना दिवस (Jharkhand Assembly 23rd Foundation Day) के मौके पर बुधवार को आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए स्पीकर रविंद्रनाथ महतो (Rabindranath Mahato) ने कहा कि पिछले चार वर्षों में झारखंड विधानसभा में तीन ऐतिहासिक विधायी कार्य हुए हैं, जिसके लिए पांचवीं झारखंड विधानसभा को झारखंड के राजनैतिक इतिहास में लंबे समय तक याद किया जायेगा।
झारखंड वासियों की अस्मिता के प्रश्न को ध्यान में रखते हुए सदन के विशेष सत्र में सरना धर्म कोड को पास किया जाना एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसपर इस सदन ने पक्ष-विपक्ष के अंतर को भूलकर सर्वसम्मति से उसे पास किया था।
निजी संयंत्रों में 75 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी
स्पीकर ने कहा कि झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक (2022), झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा व परिणामी सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022 राज्य गठन के उन मौलिक उद्देश्यों के पूर्ति की ओर एक महत्वपूर्ण कदम थे, जिनके लिए हमारे राज्य निर्माताओं ने राज्य गठन के आंदोलन में अपना रक्त बहाया था।
इन दोनों विधेयकों पर भी सदन में पक्ष और विपक्ष का अंतर मिट गया था और सभी सदस्यों की सहमति से ये विधेयक सदन में पारित हुए थे। अब तक यह विधेयक कानून का रूप नहीं ले पाये हैं।
हालांकि, स्पीकर ने उम्मीद जताई कि निकट भविष्य में इन्हें कानून का रूप दिया जा सकेगा। ये विधेयक जल्द ही कानूनी रूप लें। वहीं नियोजन नीति के तहत अब तक पचास हजार युवाओं को रोजगार मुहैया कराया गया है।
स्पीकर ने कहा कि विधायी हस्तक्षेप से जनकल्याण का सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण झारखंड के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन कानून 2021 है।
इसके माध्यम से झारखंड में कार्यरत निजी संयंत्रों (Private Plants) में 75 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी है और यह आरक्षण की व्यवस्था न केवल नीचे के पदों के लिए है, बल्कि 40 हजार रुपये के मानदेय तक के लिए है।
सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी को सजग रहने की जरूरत
अब तक करीब 50 हजार युवाओं को इस कानून के तहत नौकरियां दी गयी हैं और निश्चित रूप से यह विधेयक झारखंड की तस्वीर बदलने में कारगर साबित होगा।
स्पीकर ने कहा कि बहुत गर्व की बात है कि PM ने विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत बिरसा मुंडा के गांव उलिहातु से की।
विकसित भारत के लिए संघवाद और संसदीय लोकतंत्र का ध्यान रखा जाना जरूरी है। क्योंकि, ये भारतीय संविधान के दो मूलभूत संरचना है। ऐसे में जरूरी है कि सरकार भी जनता की आवाज के प्रति जवाबदेह बनें।
बहुमत के आधार पर जीतकर सरकार जनता के सवाल से मुंह नहीं मोड़ सकती है। सदन एक ऐसी जगह है, जहां सवालों के जरिये सरकार को बाध्य किया जा सकता है, जिससे जनहित में काम हो। इसके लिए सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी को सजग रहने की जरूरत है।
राज्य एक खनिज बहुल क्षेत्र है। ऐसे में इस पर ध्यान देना चाहिए कि खनिज के दोहन और उससे प्राप्त होने वाले धन पर केंद्र का एकाधिकार हो, जिससे समुचित विकास हो सके। विकास तभी संभव है जब सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) की विचारधारा का पालन किया जाये।