Jharkhand Assembly: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को अधिग्रहित गांवों की बदहाली का मुद्दा छाया रहा। बोकारो विधायक श्वेता सिंह ने सदन में कहा कि सेल द्वारा अधिग्रहित गांवों में विस्थापित लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर कब तक ग्रामीण बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
अधिग्रहित गांवों की स्थिति
श्वेता सिंह ने बताया कि सेल द्वारा अधिग्रहित गांवों की 50-60 हजार की आबादी आज भी सरकारी योजनाओं से वंचित है। इन गांवों को अब तक पंचायत सूची में शामिल नहीं किया गया है, जिससे ग्रामीणों को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने कहा कि विस्थापित लोग खानाबदोश जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जवाब देते हुए कहा कि अधिग्रहित गांवों को पंचायती राज व्यवस्था में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार से बातचीत करनी होगी।
हालांकि, उन्होंने भरोसा दिया कि सरकार जल्द ही सेल प्रबंधन से चर्चा कर गांवों में बुनियादी सुविधाएं बहाल करेगी।
धनबाद के 27 गांवों का मुद्दा
झरिया विधायक रागिनी सिंह ने धनबाद नगर निगम में शामिल 27 गांवों को निगम क्षेत्र से बाहर करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि इन गांवों को निगम क्षेत्र में शामिल हुए 15 साल हो गए हैं, लेकिन अब तक वहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।
सरकार का आश्वासन
इस पर जवाब देते हुए मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि गांवों को नगर निगम क्षेत्र से बाहर करना समाधान नहीं है। सरकार की प्राथमिकता वहां आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना है और जल्द ही इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
इस पर जवाब देते हुए विभागीय मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि गांवों को निगम क्षेत्र से बाहर करना समाधान नहीं है, बल्कि सरकार की प्राथमिकता वहां आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना होगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार इस दिशा में जल्द कदम उठाएगी।