विधानसभा में अनुपूरक बजट की चर्चा से BJP MLA रहे गैरमौजूद, आजसू ने…

AJSU पार्टी के गोमिया से विधायक लंबोदर महतो ने बजट पर कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते कहा कि पहले तो सरकार बताए कि आखिर इसे लाने की जरूरत क्यों पडी

News Aroma Media

Jharkhand Vidhansabha : झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Winter Session) के तीसरे दिन मंगलवार को Lunch Break के बाद जब विधानसभा की कार्यवाही में Supplementary Budget  में कटौती प्रस्ताव पर चर्चा हुई। हालांकि, इस दौरान भाजपा के सभी विधायक सदन से अनुपस्थित थे।

AJSU पार्टी के गोमिया से विधायक लंबोदर महतो (Lambodar Mahato) ने बजट पर कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते कहा कि पहले तो सरकार बताए कि आखिर इसे लाने की जरूरत क्यों पडी।

मूल बजट ही सरकार खर्च नहीं कर पा रही और अबतक दो बार अनुपूरक बजट लाया जा चुका है। आखिर ऐसी क्या परिस्थिति बनी कि सरकार ऐसा कर रही है। इस वर्ष के बजट की आधी राशि भी खर्च नहीं हो पायी है। राजस्व प्राप्ति की स्थिति निराशाजनक है। वित्तीय स्थिति का आंकलन सरकार करे। वास्तव में यह सरकार हर मोर्चे पर फेल है।

लंबोदर ने सवाल उठाते कहा कि पिछले वर्ष इसी सदन में 1932 आधारित स्थानीय नीति को लाया गया, आखिर वह कहां गया। नियोजन नीति की वजह से लाखों युवा सड़कों पर भटक रहे हैं।

बिहार सरकार ने अपने खर्च पर जाति जनगणना करायी। नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित किया, ताकि कोई इसे कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सके। यदि बिहार में यह सब हो सकता है तो, यहां क्यों नहीं। यहां OBC आरक्षण, स्थानीय नीति पर सरकार लगातार छल रही है।

आज तक यहां झारखंड आंदोलनकारियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला। उत्तराखंड जैसे राज्य में वहां के आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिया गया है। अब भी यहां झारखंड आंदोलन चिह्नांकन आयोग के पास 58 हजार आवेदन पडे हैं।

लंबोदर ने कहा कि विस्थापन आयोग के गठन की जरूरत राज्य में है। मुख्यमंत्री ने भी सदन में इसे स्वीकार किया है लेकिन सरकार अबतक बता नहीं सकी है कि ऐसा कब होगा। कोल बियरिंग एक्ट बने 70 साल हो गये। पर ट्रिब्यूनल नहीं होने से विस्थापित भटक रहे हैं।

PM आवास के लिए 2021 से झारखंड को पैसे नहीं मिल रहे

मुआवजा, पुनर्वास जैसे मसले का अंत नहीं है। सरकार स्थानीय नीति, नियोजन नीति को लेकर सदन में कुछ और बाहर कुछ और कहती है। ऐसे में युवा भटकने को बेबस हैं। 23 सालों में इस राज्य में अभी तक 11वीं JPSC की वेकेंसी नहीं आयी है।

सुदिव्य सोनू ने अनुदान मांगों के समर्थन में कहा कि केंद्र के रवैये के चलते राज्य सरकार को ऐसा करना पड़ रहा है। केंद्र के पास एक लाख 36 हजार करोड़ बकाया है। पैसे की मांग पर 200 करोड़ रुपये ही दिए गए।

PM आवास के लिए 2021 से झारखंड को पैसे नहीं मिल रहे। 2022 में तो झारखंड का कोटा काट कर 01 लाख 44 हजार आवास UP को दे दिया गया। ऐसे में राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से आठ लाख अबुआ बनाने का लक्ष्य तय किया है।

1932 के खतियान आधारित नीति के मसले पर सदन से विधेयक राजभवन भेजा गया पर आजसू पार्टी के लोगों ने कभी इसके लिए ढंग से आवाज नहीं उठायी। राजभवन से संदेश के साथ इसे लौटा दिया गया।

पंचायत स्वयंसेवक, आंगनबाड़ी कर्मी और अन्य को यहां जूझना पड़ रहा है। क्योंकि, केंद्र से आवास योजना और दूसरे मदों से मदद नहीं मिल रही। पूरे देश में शिक्षा का बजट बढ़ाने में झारखंड अव्वल रहा है, इसे देखा जाना चाहिए।

वित्तीय घाटा भी कम किया गया है। सोनू के मुताबिक विपक्ष के पास मुद्दा ही नहीं है। इसलिए भाजपा IT, ED , सांसद धीरज साहू जैसे मसले को लाती है। 2024 में होने वाले चुनावों के लिए विपक्ष में घबराहट है।

केंद्र का रोल बड़े भाई की तरह होनी चाहिए : शिल्पी नेहा

शिल्पी नेहा तिर्की (Shilpi Neha Tirkey) ने कहा कि केंद्र का रोल बड़े भाई की तरह होनी चाहिए कि वह छोटे को मदद दे लेकिन उल्टे खाद्य सुरक्षा कानून, RTI, मनरेगा को कमजोर किया है। 2019-20 में मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी का आधा पैसा भी समय पर नहीं दिया। मनरेगा, PM आवास में कटौती से यहां के कमजोर वर्गों के लोगों को नुकसान हुआ है।

प्रदीप यादव (Pradeep Yadav) ने भी BJP सरकार और उसके कार्यकाल को घेरा। सरयू राय ने कहा कि पिछले चार सालों में जिन योजनाओं पर पैसे निकले, उसकी वास्तविक स्थिति को भी देखा जाए। इसके लिए जरूरी मानव बल की उपलब्धता को भी देखें। सदन में जो सवाल आते हैं, उसका गोल-मोल जवाब दिया जाता है। इसे भी देखा जाना चाहिए।

अनुपूरक बजट के कटौती और समर्थन में दस विधायकों ने हिस्सा लिया। इनमें लंबोदर महतो, शिल्पी नेहा तिर्की, इरफान अंसारी, सुदिव्य सोनू, उमा शंकर अकेला, सुनीता चौधरी, विनोद सिंह, प्रदीप यादव, सरयू राय, अमित यादव, समीर मोहंती शामिल हैं। इस दौरान BJP के सभी विधायक सदन से अनुपस्थित थे।