रांची: Jharkhand Assembly के बजट के सत्र के अंतिम दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री (Chief Minister) हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने सदन में नियोजन नीति और सरकार की योजनाओं सहित कई अहम मुद्दों पर खुलकर बात रखी।
विधानसभा में अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष ने कई सवालों किए हैं। मैंने भी कहा था कि इसका जवाब दूंगा। हालांकि, इस दौरान हंगामा भी चलता रहा।
मुख्यमंत्री ने सदन में सभी सदस्यों को सरहुल (Sarhul), रामनवमी, रमजान (Ramadan) की शुभकामनाएं दी।
साथ ही विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा कि हम अमृत काल में खड़े हैं या आपातकाल में। कहावत है कि सियार शेर का खाल पहन लेने से वह शेर नहीं होगा, यही हाल विपक्ष का है।
उन्होंने विपक्ष के विरोध पर कहा कि लोकसभा (Lok Sabha) सत्ता पक्ष की वजह से नहीं चल रहा।
सदन में नोक-झोंक टीका-टिप्पणी होती रहती है। यह आम बात है। हंसी-मजाक भी होता है। कई गंभीर बातें भी आती है। विपक्ष को अपने आचरण पर ध्यान देना चाहिए।
भाजपा किस स्थानीय नीति का समर्थन करती है
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बात सच है कि सरकार बहुमत से चलती है लेकिन सदन सहमति से चलता है।
1932 खतियान (Khatian) या नियोजन नीति की बात कर रहे हैं लेकिन BJP के सदस्य 1932 के विरोध में हाई कोर्ट में जाते हैं।
वहीं, 1932 का समर्थन कर रहे हैं। भाजपा पहले बताए कि ये 1932 के समर्थक हैं या 1985 के। देश विषम दौर से गुजर रहा है।
इन लोगों ने कई पोस्टर लगाए, जिसमें देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री का फोटो लगा है।
आजादी के बाद पहली बार निर्लज्ज व्यवस्था दिख रही है। यह भारत का आजादी (Independence) के बाद पहली बार ऐसी स्थिति है। ऐसे में देश विश्व गुरु कैसे बनेगा।
जब हम झारखंड के लोगों के लिए थर्ड और फार्थ ग्रेड की नौकरी के लिए कानून बनाते हैं तो यही लोग विरोध करते हैं। यह ढोंगी लोग है।
वर्तमान सरकार ना राज्य में किसी की जातपात पर राजनीति करती है ना इन्हें अलग ढंग से देखते हैं।
मां को सबसे अधिक अपने कमजोर बच्चे की चिंता रहती है। हमारी भी यही सोच रही है। ये राजनीतिक, आर्थिक स्तर पर ताकतवर हैं और यह आदिवासियों को कैसे पीछे किया जाए इस पर इनका ध्यान रहता है।
आज जो परिस्थिति है राज्य सरकार (State Government) को केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है।
राज्य सरकारों को भिखमंगा बनाकर रख दिया
हेमंत सोरेन ने कहा कि आज जिस तरह व्यवस्था (Arrangement) चल रही है आने वाला समय बेहतर संकेत नहीं है।
राज्य सरकारों को भिखमंगा बनाकर रख दिया है। महंगाई में रॉकेट का इंजन लग गया है, यह ठहर नहीं रही है।
पेट्रोल-डीजल की कीमत आसमान पर है। आज कहीं पर भी एक भी जगह बता दें जहां गरीब, किसान, मजदूर को राहत दिया हो।
ये हवाई चप्पल वालों को हवाई जहाज में चढ़ाने की बात करते थे। सारे हवाई अड्डे बेच दिए। 5 रुपये का प्लेटफॉर्म (Platform) टिकट सौ रुपये का हो गया।
अगर इनके बजट में देखेंगे तो किसान सम्मान निधि का बजट घटा दिया गया है। किसान सम्मान निधि को 75 हजार करोड़ से घटाकर 65 हजार करोड़ कर दिया। चंद लोगों की मुट्ठी में यह देश है।
आज विपक्ष जोरदार हमला कर रहा है तो संवैधानिक संस्थाओं (Constitutional Bodies) को दुरुपयोग कर उनकी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है।
किसान, मजदूर, व्यापारी पैरों पर खड़े नहीं हो पा रहे
Hemant Soren ने कहा कि अमृतकाल में कौन हैं जो अमृत पी रहे हैं। आज भी लोग जिल्लत की जिंदगी जी रहे हैं। यह कैसा अमृत काल है।
इन लोगों ने सरकार आते ही देश में ऐसे-ऐसे कारनामे किए हैं कि ना किसान, ना मजदूर, ना व्यापारी अपने पैरों में खड़े नहीं हो पा रहा।
पांच वर्षों में 76 प्रतिशत MSME को कोई मुनाफा नहीं हुआ आमदनी घट गयी। आज देश में 45 करोड़ बेरोजगार हो गये हैं।
ऐसा लगता है दो-पांच व्यापारी ही विधान बन गये हैं। दस लाख करोड़ से अधिक इन्होंने अपने व्यापारियों साथियों का कर माफ कर दिया।
आज देश में स्थिति यह है कि न काम करूंगा, न काम दूंगा
देश का साथ मात्र 31 लोगों के साथ है। लोगों की आमदनी बढ़ी नहीं, घट रही है। आजादी के बाद सबसे ज्यादा बेरोजगारी (Unemployment) इस सरकार के कार्यकाल में हुआ है।
केंद्र के BJP के कार्यकाल में 12 हजार से अधिक व्यापारियों ने आत्महत्या कर ली। व्यापारी साथियों का 10 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज उन्होंने माफ कर दिया। ऐसे में देश कैसे बचेगा।
बहुत पहले एक कहावत सुना था, ना खाऊंगा, न खाने दूंगा लेकिन आज देश में स्थिति यह है कि न काम करूंगा, न काम दूंगा।
झारखंड में अपने कारनामे से डबल से सिंगल इंजन पर आ गए हैं। वह दिन दूर नहीं जब यह लोग देश से ही समाप्त हो जाएंगें।
कोयला में एक लाख 12 हजार करोड़ भारत सरकार के पास बकाया है। जब पैसा मांगों तो ईडी, सीबीआई लगा देते हैं।
रसोई गैस की कीमत दोगुना किसने किया। दाल-चावल का दाम किसने बढ़ाया। इन लोगों ने तो LIC को भी बेच दिया। अब सरकारी कर्मचारी भी जिनका पैसा LIC में है, वह डर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने सवाल पूछने के लहजे में कहा कि गरीबों का कंबल किसने लूटा, इनसे पूछा जाए। सीएनटी-एसपीटी एक्ट को बदलने का काम किसने किया। यही लोग कहते थे कि झारखंड के लोगों में नौकरी पाने की योग्यता नहीं है।
हाथी उड़ाने का काम किसने किया। सीपी सिंह ने हरमू नदी को हरमू नाला (Harmu Nala) बना दिया।
20 वर्षों में तपोवन मंदिर के जीर्णोद्धार करने का काम नहीं किया, हमने किया। यहां के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन (Pension) का लाभ दिया।
हम राज्य के कर्मियों की गाढ़ी कमाई को शेयर बाजार में लूटने के लिए नहीं छोड़ना पड़ा। अभी तो एक राज्य से हाथ धोया है। वह दिन दूर नहीं जब पूरे देश से इन्हें हाथ धोना पड़ेगा।