Jharkhand Assembly Election : झारखंड (Jharkhand) में लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब विधानसभा चुनाव (Assembly Election) की तैयारी राजनीतिक दलों की ओर से शुरू कर दी गई है, क्योंकि नवंबर दिसंबर में ही चुनाव होना है।
यहां सीट वाइज वोटों के समीकरण को देखा जाए तो विधानसभा चुनाव में जीत तय करने में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की भूमिका अहम होगी।
इसको ध्यान में रखकर ही झामुमो और ‘इंडिया’ गठबंधन नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में उतरने जा रहा है।
इधर के कुछ दिनों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की गतिविधियों और रुख से यह पता चलता है कि जनजातीय समुदाय से जुड़े मुद्दों पर फोकस कर वह चुनाव में आगे बढ़ेगी।
फादर स्टेन स्वामी की मौत और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को आपस में जोड़ना, सरना धर्म कोड और मणिपुर हिंसा की बात इसी कड़ी का हिस्सा है।
आदिवासी समाज की बहुप्रतीक्षित सरना धर्म कोड की मांग को भी लोकसभा चुनाव परिणाम के ठीक बाद झामुमो ने उठाया है।
स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी अक्टूबर 2019 में हुई थी। गिफ्तारी के तत्काल बाद हुए नवंबर-दिसंबर विधानसभा चुनाव में आदिवासी आरक्षित सीटों पर झामुमो-कांग्रेस को बड़ा फायदा मिला।
आरक्षित सीटों पर दोनों पार्टियों की जीत का आंकड़ा 93 प्रतिशत था। उनकी मौत जेल में जुलाई 2021 को हो गई थी। दो दिन पहले ही हेमंत सोरेन के फेसबुक वॉल पर लिखा गया कि जिस तरह सबसे कमजोर वर्ग के लिए आवाज उठाने वाले फादर स्टेन को अन्याय से चुप कराया गया, आज उसी तरह का जुल्म हेमंत सोरेन पर हो रहा है।