बोकारो: बोकारो जिले में एक ही दिन में चार-चार युवक-युवतियों ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। जिले के चास, हरला, जरीडीह और दुग्दा थाना क्षेत्रों में अलग-अलग खुदकुशी की घटनाएं सामने आईं।
इनमें तीन छात्र और एक मजदूर शामिल थे। घटना रविवार को की है, यहां चीरा चास में रहने वाले सीडी सिंह के पौत्र शुभम अभिषेक (18) का शव सुबह उसके कमरे में पंखे से बेड शीट के सहारे लटकता उसके दादा-दादी ने देखा।
उसके बाद इसकी सूचना रिश्तेदारों को दी। वह जीजीपीएस में 12वीं कक्षा का छात्र था। जानकारी के अनुसार वह पढ़ने में काफी होनहार था, लेकिन पढ़ाई को लेकर तनाव में रहा करता था। दूसरी घटना हरला थाना क्षेत्र के महुआर गांव की है।
विजय रवानी की पुत्री काजल कुमारी (18) ने शनिवार रात एसबेस्टस वाले घर की छत की पाइप से साड़ी के सहारे फांसी लगा ली। सुबह इसकी सूचना परिजनों ने पुलिस को दी।
वहीं, तीसरी घटना जरीडीह थाना इलाके के मल्हानटांड़ की है। उमाचरण सिंह के पुत्र विष्णु कुमार सिंह (18) ने रस्सी से अपने खपरैल के घर में लगी बल्ली से लटककर जान दे दी।
विष्णु जैनामोड़ बाजार में अपने पिता के साथ मोटिया मजदूर का काम करता था। वहीं, चौथी घटना में दुग्दा थाना इलाके में बोकारो-झरिया ओपी के परसाटांड़ निवासी भेखलाल महतो की पुत्री किरण कुमारी (26) ने दुपट्टा से सहारे पंखा के लटककर जान दे दी।
घटना रविवार सुबह लगभग 9 बजे दिन की है। वह स्नातक के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। संबंधित थानों की पुलिस ने इन सभी मामलों को लेकर यूडी केस दर्ज करते हुए पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है।
12वीं का छात्र शुभम पढ़ने में था काफी होनहार
शुभम अभिषेक जीजीपीएस का छात्र था। अपने दादा-दादी के पास रह कर पढ़ता था। शुभम के पिताजी भागलपुर में रेलवे में इंजीनियर हैं। पुलिस आत्महत्या के कारणों का पता लगाने में जुट गई है।
शुभम अभिषेक ने कमरे के पंखे से गमछे के सहारे फांसी लगा ली। पुलिस का कहना है कि आत्महत्या का कारण क्या है अभी यह साफ नहीं हो पाया है। मृतक के चचेरे भाई प्रियरंजन ने बताया कि शुभम पढ़ने में काफी होनहार था।
न्यूज़ अरोमा की अपील
कुछ भी बुरा करने से पहले किसी अपने के साथ बैठकर अपने मन की बात कहें। आत्महत्या करने की चाह रो लेने पर या बात करने पर कम हो जाती है। अपने परिवार के लोगों या दोस्त के साथ दिल खोलकर बात करो। अगर नहीं कर पा रहे हैं तो किसी काउनसेलर या मनोवैज्ञानिक डॉक्टर से सलाह लें और उन्हें अपने दिल की सारी बात बतायें।